नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) कानून में संशोधनों पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. ताजा संशोधनों के तहत डीलरों के लिए एकमुश्त कर भुगतान वाली कंपोजीशन योजना के तहत कारोबार सीमा को बढ़ाकर डेढ करोड़ रुपये करना शामिल है. सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ही इन संशोधनों को संसद में पेश कर देगी. यह संशोधन केन्द्रीय जीएसटी कानून, एकीकृत जीएसटी कानून, मुआवजा उपकर कानून में किया जाएगा.
पीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘‘जीएसटी कानून में संशोधनों पर मंत्रिमंडल ने अपनी सहमति दे दी है.’’ कुल मिलाकर कानून में 46 संशोधनों को मंजूरी दी गई है जिसमें अन्य चीजों के अलावा नियोक्ताओं को कर्मचारियों को दी जाने वाली खाद्य पदार्थों, परिवहन और बीमा जैसी सुविधायें के एवज में इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा उपलब्ध होगी.
रिवर्स चार्ज प्रणाली में हुआ सुधार
संशोधनों में रिवर्स चार्ज प्रणाली में सुधार भी शामिल किया गया है. अलग-अलग कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए अलग-अलग पंजीकरण कराने, पंजीकरण रद्द कराने, रिटर्न दाखिल करने के नए नियम और बहुपक्षीय चालान को शामिल करने वाले एकीकृत डेबिट, क्रेडिट नोट जारी करने जैसे कई संशोधन शामिल हैं.
जीएसटी काउंसिल की कर छूट पर मूडीज ने उठाई थी उंगली
वित्तीय साख निर्धारक प्रतिष्ठित एजेंसी मूडीज की राय में विभिन्न वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में जुलाई में कटौती का सरकार का फैसला वित्तीय साख के प्रतिकूल है. एजेंसी ने अपनी ताजा रपट में कहा था कि इससे सरकार की राजस्व वसूली पर असर पड़ेगा और राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयासों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की दृष्टि से यह वित्तीय साख के लिए ठीक नहीं है.
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली बैठक में 88 प्रकार की वस्तुओं पर कर की दर कम करने या समाप्त करने की घोषणा की थी. इनमें बिजली से चलने वाले कई प्रकार के घरेलू उपकरण, छोटी टीवी सेट तथा दस्तकारी के सामान शामिल हैं. मूडीज का कहना है कि इस निर्णय से‘ सरकारी राजस्व वसूली में वार्षिक आधार पर जीडीपी के 0.04 से 0.08 प्रतिशत तक का असर पड़ सकता है.’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान कर राजस्व में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है.