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क्या वर्ल्ड चैंपियन बन पाएंगी पी वी सिंधु, थोड़ी देर में मुकाबला

नई दिल्ली। भारत की अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियनशिप के महिला एकल वर्ग के फाइनल में जगह बनाने में सफल रही हैं. फाइनल में आज उनका सामना स्पेन की कैरोलिना मारिन से होगा.

अभी तक कोई भी भारतीय खिलाड़ी विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक नहीं जीत सका है, ऐसे में सिंधु अगर स्वर्ण जीतने में सफल रहती हैं तो वह इतिहास रच देंगी.

चूक सुधारने का मौका

सिंधु ने पिछले साल भी इस चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश किया था जहां उन्हें जापान की नोजोमी ओकुहारा से मात खानी पड़ी थी. वहीं मारिन ने चीन की ही बिंगजियाओ को मात देकर तीसरी बार फाइनल में जगह बनाई.

अब एक बार फिर सिंधु के सामने इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने का मौका है, लेकिन उनका सामना उस खिलाड़ी से जिससे वो रियो ओलम्पिक-2016 के फाइनल में मात खा चुकी हैं. मारिन ने ही दो साल पहले सिंधु को पहला ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने से रोक दिया था.

मारिन का पलड़ा भारी

दोनों के बीच अभी तक कुल 11 मुकाबले हुए हैं जिसमें से छह में मारिन को फतह हासिल हुई है तो पांच बार सिंधु उन्हें शिकस्त देने में कामयाब रही हैं. दोनों के बीच हाल ही में सबसे ताजा भिड़ंत मलेशिया ओपन में हुई थी जहां सिंधु ने मारिन को 22-22, 21-19 से मात दी थी.

विश्व चैंपियनशिप में दोनों की यह दूसरी भिड़ंत होगी. इससे पहले सिंधु और मारिन 2014 में खेली गई विश्व चैंपियनशिप में भिड़ चुकी हैं जहां मारिन बाजी मार ले गई थीं.

फाइनल में पहुंच कर हालांकि सिंधु ने अपना दूसरा रजत और कुल चौथा पदक पक्का कर लिया है. अभी तक सिंधु विश्व चैंपियनशिप में तीन पदक अपने नाम कर चुकी हैं. उन्होंने 2013 और 2014 में लगातार दो बार कांस्य पदक जीते थे. वहीं 2017 में पहला रजत पदक अपने नाम किया था.

सिंधु के लिए यह मुकाबला किसी भी लिहाज से आसान नहीं होगा . शानदार फॉर्म में चल रही मारिन दो बार पहले भी इस टूर्नामेंट का फाइनल खेल चुकी हैं और दोनों बार उन्हें जीत मिली है.

पहली बार मारिन ने 2014 में चीन की ली झुइरुई को मात दी थी तो वहीं 2015 में भारत की ही सायना नेहवाल को हराया था. दो स्वर्ण के साथ उतरने वाली मारिन पूरे आत्मविश्वास से भरी होंगी ऐसे में सिंधु के लिए उनका सामना करना आसान नहीं होगा. दोनों के बीच हुए बीते मैच बताते हैं कि फाइनल मैच रोमांचक हो सकता है.

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