देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में अवैध बालिका गृह चालने के मामले में पुलिस ने आरोपी गिरिजा त्रिपाठी की बेटी कंचनलता त्रिपाठी को भी गिरफ्तार कर लिया. संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, उसके पति मोहन त्रिपाठी और बेटे प्रदीप त्रिपाठी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
देवरिया बालिका गृह की लड़कियों के साथ दरिंदगी किए जाने का मामले में पुलिस ने गिरिजा और मोहन त्रिपाठी की बेटी कंचनलता त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल उसे देवरिया पुलिस लाइन में रखकर उससे पूछताछ की जा रही है. इस मामले में एक बच्ची ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे.
बालिका गृह निकाली चीख-पुकार ने अब सियासत को भी गर्मा दिया है. आरोप है कि बालिका गृह में न सिर्फ लड़कियों को जबरन देह व्यापार में लगाया गया था. बल्कि ये पूरा संस्थान ही अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था.
एसपी ने बताया कि संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उनके पति मोहन इनके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं. ऐसे में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मामले में मानव तस्करी, देह व्यापार व बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
दरअसल, इस संस्थान की जांच में अनियमितता पाई गई थी. जिसके बाद पिछले साल इसकी मान्यता रद कर दी गई. देवरिया के डीपीओ ने बताया कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाजिक सेवा संस्थान द्वारा संचालित नारी संरक्षण गृह में पहले भी अनिमियतता पाई गई थी, उसके आधार पर इनकी मान्यता स्थगित कर दी गई थी.
शासन से ये आदेश भी हुआ था कि सभी बच्चों को यहां से ट्रांसफर कर दिया जाए. इस आदेश के बावजूद संस्थान में लड़कियों को जबरन रखा गया. यहां तक कि संस्थान में रजिस्टर्ड बच्चियों का सही रिकॉर्ड तक नहीं है. महिला प्रशिक्षण संस्थान चलाने वाली गिरजा त्रिपाठी को बच्चियां बड़ी मम्मी कहती थीं और बड़ी मम्मी ममता को कलंकित करते हुए इन बच्चियों से धंधा करवाती थी. कभी देवरिया तो कभी गोरखपुर में अय्याशों की हवस मिटाने के लिए ये बच्चियां भेजी जाती थीं.
यहां से एक बच्ची जुल्म की जंजीरें तोड़कर भाग निकली और किसी तरह वो महिला थाने पहुंच गई. पुलिस को जब उसने आपबीती सुनाई तो उसकी नींद खुली. थानेदार ने एसपी को फोन किया और फिर पुलिस फोर्स फौरन संस्थान के लिए कूच कर गई. संस्थान पर छापा मारा गया और 24 लड़कियों को पुलिस ने इस संस्थान के नरक से छुड़ा लिया.
पुलिस ने बताया कि संरक्षण गृह की सूची में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन छापे में मौके पर केवल 24 मिलीं. बाकी 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि बिहार के बेतिया जिले की 10 साल की बच्ची रविवार देर शाम किसी तरह संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची. वहां उसने संरक्षण गृह की अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी. बच्ची के मुताबिक, वहां शाम चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद रंग की कारों से आते थे और मैडम के साथ लड़कियों को लेकर जाते थे, वे देर रात रोते हुए लौटती थीं. संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है.