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करुणानिधि : हिन्‍दी का विरोध कर ऐसे दिलाई तमिल भाषा को पहचान

नई दिल्‍ली। करुणानिधि ने महज 14 की उम्र में राजनीति में कदम रख दिया था. दक्षिण भारत में हिन्‍दी विरोध पर मुखर होते हुए करुणानिधि हिन्‍दी हटाओ आंदोलन का हिस्‍सा बने. 1937 में जब स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने पर बड़ी संख्या में युवाओं ने विरोध किया. करुणानिधि उनके अगुवा के तौर पर सामने आए. उन्होंने तमिल भाषा के प्रचार-प्रचार का जिम्‍मा उठाया. तमिल में नाटक और स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी.

भाषा पर बेहतरीन पकड़ थी
करुणानिधि की भाषा पर बेहतरीन पकड़ के कारण ही उन्हें ‘कुदियारासु’ का संपादक बनाया गया. हालांकि पेरियार और अन्नादुराई के बीच मतभेद और उसके बाद दोनों के अलग होने पर करुणानिधि अन्नादुराई के साथ चले गए. बाद में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

जब-जब सीएम बने पीएम का चेहरा अलग
1957 में पहली बार जब वह विधायक बने तब प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. इसके बाद जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उस दौरान इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. उनके तीसरी बार सीएम बनने के समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. उनके चौथे कार्यकाल के दौरान नरसिम्हा राव पीएम थे और 5वीं बार मनमोहन सिंह पीएम थे.

3 शादियां की थीं डीएमके प्रमुख ने
करुणानिधि ने अपने जीवन में 3 शादियां कीं. पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी पत्नी दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी रजति अम्माल. पहली पत्नी का निधन हो चुका है. उनके 4 बेटे और दो बेटियां है. एमके मुथू पहली पत्‍नी पद्मावती के बेटे हैं, जबकि एमके अलागिरि, एमके स्टालिन, एमके तमिलरासू और बेटी सेल्वी, दयालु अम्मल की संतानें हैं. उनकी तीसरी पत्नी रजति अम्माल की बेटी कनिमोझि हैं.

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