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करुणानिधि को अंतिम विदाई: रजनी ने सफेद तो हासन ने चुना काला, क्या नई राजनीति का आगाज?

नई दिल्ली। दक्ष‍िण भारत की राजनीति का एक अध्याय करुणानिधि के साथ ही समाप्त हो गया. मंगलवार को उन्होंने अंतिम सास ली. चेन्नई के राजाजी हॉल में बुधवार को उन्हें अंतिम विदाई देने तमाम हस्त‍ियां पहुंचीं, जिनमें तमिल सिनेमा जगत के दो सितारे रजनीकांत और कमल हासन भी शामिल थे. इस दौरान दोनों ही सितारे अपनी वेशभूषा के लिहाज से एक-दूसरे से पूरी तरह अलग नजर आए.

करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने रजनीकांत जहां सफेद कुर्ता-पायजामा में पहुंचे, वहीं कमल हासन काली शर्ट और ट्राउजर में नजर आए. कपड़ों के रंगों से दोनों के राजनीतिक और धार्मिक विचार भी स्पष्ट हो रहे हैं. रजनीकांत जयललिता के अंतिम संस्कार में भी सफेद रंग के कपड़ों में पहुंचे थे. वे हिन्दू धर्म को मानते हैं, जिसमें सफेद को शोक का प्रतीक माना जाता है. रजनी हमेशा अपने फैन्स को अपने माता-पिता और ईश्वर में आस्था रखने की सलाह देते हैं. उन्हें अपने भाषाओं में ये संदेश देने में कोई संकोच नहीं रहता.

दूसरी ओर कमल हासन खुद को करुणानिधि की तरह ही द्रविड़ आंदोलन का पैरोकार और नास्त‍िक मानते हैं. वे जयललिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने इसका कारण अपने पैर में आए फ्रेक्चर को बताया था. इसे काफी कमजोर दलील के रूप में देखा गया. इसके बाद कमल हासन ने जयललिता को लेकर जो ट्वीट किया, उसकी काफी आलोचना हुई.

ये जाहिर है कि कमल हासन और जयललिता के रिश्ते अच्छे नहीं थे. 2013 में हासन की फिल्म विश्वरूपम से जयललिता इतनी डरी हुई थीं कि उन्होंने हिंसा के डर से तमिलनाडु में इसकी रिलीजिंग बैन कर दी थी. इसके बाद दोनों के संबंधों में खटास और बढ़ गई.

जबकि हासन करुणानिधि के प्रति अपनी निष्ठा कई बार दिखा चुके थे. वे करुणानिधि के अंतिम संस्कार में सबसे अलग तरह से काली शर्ट और ट्राउजर में पहुंचे. दिल्ली में उनकी फिल्म विश्वरूपम 2 का प्रमोशनल इवेंट था, लेकिन उन्होंने इसे कैंसिल कर दिया.

रजनीकांत और कमल हासन दोनों ही अपना फिल्मी करियर छोड़ने की कगार पर हैं. अब दोनों खुद को तमिलनाडु की राजनीति में मजबूत जनाधार वाले राजनेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं. ऐसे में तमिलनाडु की दो प्रमुख पार्टियों के शीर्ष नेता जयललिता और करुणान‍िध‍ि के न रहने के बाद माना जा सकता है कि कमल हासन और रजनीकांत की नजर तमिल राजनीति के खाली हुए सिंहासन की ओर है. करुणानिधि के अंतिम संस्कार में दोनों का एक-दूसरे से पूरी तरह अलहदा वेशभूषा में नजर आना उनकी विरोध की राजनीति का शंखनाद कहा जा सकता है.

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