नई दिल्ली। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का केंद्र सरकार पर हमला लगातार जारी है. बुधवार को उन्होंने एक बार फिर मुखर होते होते कहा कि असम में जो लोग एनआरसी के मसौदे से बाहर रह गए हैं उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1200 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर कैद कर दिया है. उन्होंने कहा कि असम में सुरक्षा बलों की 400 टुकड़ियां तैनात हैं, इससे केंद्र की मंशा का साफ पता चलता है.
ममता बनर्जी ने कहा कि इस देश के लोगों को विदेशी बताकर उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुद्दा हिंदू या मुस्लिम का नहीं है, बल्कि नागरिकता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को उनकी भाषा की वजह से असम में एनआरसी में शामिल नहीं किया गया है और बीजेपी नेता एनआरसी को न्यायसंगत बनाने के लिए अपनी छाती पीट रहे हैं.
ममता बनर्जी ने एनआरसी मसौदे से 40 लाख लोगों को बाहर किए जाने पर कहा कि ये 40 लाख लोग पूरी तरह भारतीय हैं. उन्होंने उन मानदंडों पर भी सवाल उठाए जिसके आधार पर 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनसे उनके माता-पिता के जन्म प्रमाण-पत्र मांगेगी तो वह भी इन दस्तावेजों को पेश नहीं कर पाएंगी.
ममता ने कहा, ‘मैं अपने माता-पिता के जन्म की तारीखें नहीं जानती. मैं सिर्फ उनकी मृत्यु की तारीखें जानती हूं. मैं उनके जन्म की तारीख वाले कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाऊंगी. ऐसे मामलों को लेकर एक स्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिए. आप आम लोगों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते.’
क्या हिलसा मछली भी घुसपैठिया है?
ममता बनर्जी ने बीजेपी पर ‘बंगाली विरोधी’ होने का आरोप लगाया. उन्होंने बीजेपी पर सवाल किया कि क्या हिलसा मछली, जामदानी साड़ी, संदेश और मिष्टी दोई, जो मूल रूप से बांग्लादेश के हैं, को भी घुसपैठिया या शरणार्थी करार दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में नाइंसाफी हो रही है. अपनी चरमपंथी विचारधारा के साथ बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है. बीजेपी देशवासियों के बीच बदले की राजनीति कर रही है.
ममता ने कहा, ‘बीजेपी को नहीं भूलना चाहिए कि बंगाली बोलना अपराध नहीं है. यह दुनिया में बोली जाने वाली पांचवीं सबसे बड़ी भाषा है. बीजेपी को बंगाल से क्या दिक्कत है? क्या वह बंगालियों और उनकी संस्कृति से डरी हुई है? उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि बंगाल देश का सांस्कृतिक मक्का है.’