नई दिल्ली। भारतीय राजनीति की रीत भी निराली है. कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर. लोकसभा चुनाव से पहले आज यह चर्चा हो रही है कि क्या कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में यूपी में 8-10 सीटें मिल पाएंगी या नहीं. इस मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा तंज भारतीय जनता पार्टी कसती है. लेकिन 1989 में एक समय ऐसा था जब बीजेपी को खुद यूपी में गठबंधन के चलते 9 सीटें चुनाव लड़ने को मिली थीं और वाजपेयी ने खुद पार्टी को मौके की नजाकत समझायी थी.
सच का सामना करने वाले नेता
संघ से जुड़े रहे विचारक के एन गोविंदाचार्य ने बताया, ‘1989 की बात है. उस समय लोकसभा में कांग्रेस को हटाने के लिए बीजेपी को वीपी सिंह के जनता दल और बाकी दलों से समझौता करना था. तब यूपी में गठबंधन बीजेपी को लड़ने के लिए बहुत कम सीटें दे रहा था. बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस बात पर नाराजगी थी कि अगर बीजेपी इतनी कम सीटों पर लड़ेगी तो उसके मतदाता में निराशा आएगी. लेकिन तब वाजपेयी जी ने दृढ़ रुख अपनाते हुए पूछा कि किस आधार पर बीजेपी को अधिक सीटें मिलनी चाहिए.’
वाजपेयी जी ने गठबंधन के लिए यह बात स्वीकार की कि बीजेपी यूपी में महज 9 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेगी. यह अटल फैसला था. तब वह तालमेल सेट हुआ. वाजपेयी जी ने पार्टी को समझाया कि सीटों के गणित के कारण समझौता टूटा, यह छवि नहीं बननी चाहिए. उन्होंने सबको मन बड़ा करने की सलाह दी थी.’