नई दिल्ली। चांद पर बसने की ख्वाहिश दुनिया के अधिकांश लोगों की है. इसके लिए वैज्ञानिक कई साल से प्रयास कर रहे हैं. वहां इंसानों की बस्ती बसाने के संबंध में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अब इन संभावनाओं को और प्रबल कर दिया है. उन्होंने ताजा शोध में चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में पहली बार सतह पर बड़ी मात्रा में बर्फ खोजने का दावा किया है.
उनके अनुसार इससे चांद पर इंसानों को आसानी से पानी मिलेगा और वहां रह सकने की हम लोगों की हसरत पूरी हो सकेगी. साथ ही मंगल जैसे दूर ग्रहों पर भी पहुंचने के लिए चांद को अहम पड़ाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों का यह ताजा शोध प्रोसीडि़ंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है.
ध्रुवीय इलाकों में खोजा गया जमा हुआ पानी
यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों ने चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में पहली बार जमा हुआ पानी खोजने का दावा किया है. उनके अनुसार उन्होंने इन ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी परछाई वाले हिस्सों में इस जमे हुए पानी को खोजा है. उनके अनुसार यह जमा हुआ पानी मून के परछाई वाले क्षेत्रों (मून शैडो एरिया) में करीब 3.5 फीसदी हिस्से में मौजूद है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस खोज से बुध और मेरेस जैसे बौने ग्रहों पर भी पानी खोजने में मदद मिल सकेगी.
पहले मिला था मिट्टी में, अब पहली बार मिला सतह पर
वैज्ञानिकों के अनुसार इससे पहले चांद की मिट्टी में पानी होने के सुबूत मिले थे. लेकिन इस ताजा शोध में चांद की सतह पर ही जमे हुए पानी की खोज की गई है. ऐसा पहली बार हुआ है. उन्होंने अपने शोध पत्र में कहा है ‘हमने चांद की सतह पर पक्के तौर पर जमे हुए पानी या बर्फ की खोज की है.’ वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले शोध में चांद पर पानी होने की बात तो की गई थी, लेकिन इस पर मुहर नहीं पा रही थी. क्योंकि उन शोधों में पानी और हाइड्रोजन के बीच के अंतर की जानकारी नहीं मिल पा रही थी.
खास तकनीक के इस्तेमाल से मिले पानी के अखंडनीय सुबूत
वैज्ञानिकों ने चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों के परछाई वाले हिस्से में जमे हुए पानी या बर्फ की खोज करने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया है. उन्होंने इसके लिए खास सैटेलाइट के जरिये चांद के अलग-अलग हिस्सों की इमेजिंग स्कैनिंग की. इससे चांद की सतह, वहां की मिट्टी और वहां फैले खनिजों में पानी की मौजूदगी का पता चल सका. उनके अनुसार इस शोध में नियर इंफ्रारेड रिफ्लेक्टेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनआईआरएस) के जरिये चांद पर पानी होने के अखंडनीय सुबूत मिले. इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के जरिये पानी को पहचाना गया.
भारत के चंद्रयान से भी मिली मदद
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में भारत के चंद्रयान के जरिये जुटाए गए डाटा का भी इस्तेमाल किया. चंद्रयान के मून मिनरोलॉजी मैपर उपकरण के डाटा का इस्तेमाल किया गया है. चंद्रयान ने चांद की अहम तस्वीरें ली थीं. हालांकि 2009 में उससे संपर्क टूट जाने के बाद यह अभियान बंद कर दिया गया था. लेकिन इसका जुटाया डाटा वैज्ञानिकों के काफी काम आया.
बस सकेगी कॉलोनी, दूरस्थ ग्रहों के अभियान होंगे साकार
चांद की सतह पर जमे हुए पानी या बर्फ के सुबूत मिलने से वहां इंसानी बस्ती बसाई जा सकेगी. सतह पर पानी मौजूद होने से उन्हें यह आसानी से मिल सकेगा. इससे वहां खेती भी आसानी से की जा सकेगी. इसके अलावा चांद को मंगल ग्रह जैसे दूरस्थ अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम पड़ाव के रूप में भी इस्तेमाल हो सकेगा. वैज्ञानिक इस पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदल सकेंगे. इससे रॉकेट फ्यूल भी बन सकेगा.