नई दिल्ली। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाक सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलने के बाद शुरू हुए विवाद पर सिद्धू ने मंगलवार को सफाई दी. उन्होंने कहा कि वह तो दोस्ती की खातिर पाकिस्तान गए थे. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो बिना परमीशन के पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर गए थे.
I received invitation 10 times. Then I sought permission from Indian government, I didn’t get permission & was waiting. 2 days after Pakistan government gave visa, Sushma Swaraj Ji herself called me in the night & informed that I have been given permission: Navjot Singh Sidhu pic.twitter.com/FYOIYhVo0t
— ANI (@ANI) August 21, 2018
सुषमा स्वराज ने किया फोन : सिद्धू
उन्होंने कहा ‘मेरे पास पाकिस्तान से कई बार आमंत्रण आया था, मैंने भारत सरकार से परमीशन मांगी थी. लेकिन भारत सरकार की ओर से मुझे परमीशन नहीं दी गई. दो दिन बाद मुझे पाकिस्तान की सरकार की ओर से वीजा दिया गया. फिर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी ने रात में मुझे खुद फोन करके कहा था कि आपको परमीशन दे दी गई है.’
In the past also efforts for peace have been made, the late Vajpayee ji had taken ‘dosti bus’ to Lahore, invited Musharraf. PM Modi invited Nawaz Sharif to oath-taking, he also went suddenly to Lahore: Navjot Singh Sidhu pic.twitter.com/4UyVKDdwDf
— ANI (@ANI) August 21, 2018
बताया गले मिलने का कारण
उन्होंने कहा ‘हम आज वाजपेयी जी को याद कर रहे हैं, वाजपेयी जी भी तो शांति का संदेश लेकर गए थे. पीएम मोदी भी तो नवाज शरीफ के यहां गए थे. जहां तक बाजवा से मिलने का मसला है तो बाजवा गर्मजोशी से मुझसे मिले. मुझे मिलते ही उन्होंने कहा कि करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए वह प्रयास कर रहे हैं. इसीलिए यह भाव जगाने वाली बात थी जिसके प्रति बाजवा के प्रति स्नेह उत्पन्न हुआ. मेरे ऊपर उठे इन सवालों पर मुझे दुख भी है और खेद भी है.
दोस्त के बुलावे पर गया
पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करके पूरे विवाद में सफाई दी. उन्होंने कहा ‘मैं तो बुलावे पर गया था पाकिस्तान, लेकिन कुछ लोग बिना बुलावे के ही वहां चले जाते हैं.’ उन्होंने कहा कि ‘मेरी पाक यात्रा चर्चा का विषय बनी, ये राजनैतिक नहीं बल्कि मित्र का आमंत्रण था. वो दोस्त जो मेहनत से संघर्ष से पहुंचा.’ उन्होंने कहा वह (इमरान) दोनों देशों के बीच संबधों को सुधार सकता है. इमरान खान ने फोन करके खुद बुलाया और लिखित निमत्रंण भी आया. मैं ये दुर्भाग्य मानता हूं कि विभाजन के बाद दोनों देशों की कटुता खत्म नहीं हो सकी. आज वहां पर आतंकवादी संगठनों का जमावड़ा है.