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नरेंद्र मोदी के फिटनेस वीडियो पर PMO का जवाब, कहा- नहीं खर्च हुआ एक भी पैसा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक आरटीआई अर्जी के जवाब में कहा कि जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फिटनेस वीडियोबनाने में कोई खर्च नहीं आया था. योग दिवस के एक हफ्ते पहले 13 जून को प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर अपना फिटनेस वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें वो एक चट्टान पर पीठ के बल व्यायाम करते, नंगे पांव टहलते हुए और योग करते हुए दिख रहे थे.

उन्होंने काले रंग की जॉगिंग पोशाक पहन रखी थी. प्रधानमंत्री मोदी  ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली की एक फिटनेस चुनौती स्वीकार करने के कुछ दिनों बाद यह वीडियो जारी किया था. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आरोप लगाया था कि इस वीडियो को बनाने के लिए 35 लाख रुपये खर्च किया गया, लेकिन इस दावे को सरकार ने खारिज कर दिया.

पीएमओ ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दिए आवेदन के जवाब में कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने जो वीडियो पोस्ट किया था, उसे बनाने में कोई खर्च नहीं आया था. वीडियो प्रधानमंत्री आवास में बनाया गया था.’ इस जवाब में कहा गया कि वीडियोग्राफी पीएमओ के कैमरामैन ने की थी और वीडियो के लिए कुछ भी खरीदना नहीं पड़ा था.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी पीएम मोदी के फिटनेट वीडियो पर 35 लाख रुपये खर्च होने के दावे को खारिज कर चुके हैं. पीएम मोदी के फिटनेस वीडियो पर खर्च को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर और केंद्रीय मंत्री राठौड़ के बीच ट्विटर पर तीखी बहस देखने को मिली थी.

मालूम हो कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर पीएम मोदी के फिटनेस वीडियो पर 35 लाख रुपये खर्च होने का दावा किया था. थरूर ने ट्वीट किया था, ‘योग दिवस के मौके पर विज्ञापनों पर 20 करोड़ रुपये खर्च किए गये. प्रधानमंत्री के फिटनेस वीडियो पर 35 लाख रुपये खर्च हुए. इस सरकार में उम्मीद की जगह हव्वा तैयार किया जाता है. उम्मीदों को इन्होंने बर्बाद कर दिया है.’

कांग्रेस नेता के इस आोरप पर केंद्रीय मंत्री राठौड़ ने पलटवार करते हुए कहा था, ‘थरूर…झूठ आपके लिए तथ्यों का विकल्प बन गया है. प्रधानमंत्री के वीडियो पर कोई पैसा खर्च नहीं किया गया. यह प्रधानमंत्री कार्यालय के वीडियोग्राफर द्वारा रिकॉर्ड किया गया.’ इस पर थरूर ने कहा कि यह सुनकर उन्हें खुशी हुई कि वीडियो पर पैसा खर्च नहीं किया गया, लेकिन इस सरकार ने उपलब्धि के नाम पर दिए गए विज्ञापनों के लिए करदाताओं के 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं.

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