नई दिल्ली। जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) ने भारत में ऐसे खराब हिप रिप्लेसमेंट सिस्टम बेचे हैं जिससे सैकड़ों मरीजों की जान पर बन आई है. हैरत में डालने वाली बात यह है कि कंपनी ने इस सच्चाई को हर किसी से छिपाया. उसने न तो राष्ट्रीय नियामक को यह बताया कि कितने मरीजों में खराब सिस्टम लगा है और न ही कोई मुआवजा बांटा. यह खुलासा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित समिति की जांच में हुआ है. जांच रिपोर्ट में समिति ने कंपनी की जमकर खिंचाई की है. समिति ने कहा कि जिन 3600 मरीजों के यह सिस्टम लगा है उनका कोई अता-पता नहीं है. करीब 4 लोगों की मौत भी हो गई है. समिति ने सिफारिश की है कि कंपनी हरेक प्रभावित मरीज को 20 लाख रुपए मुआवजा दे और अगस्त 2025 तक सभी मरीजों के खराब सिस्टम बदले.
2010 में वापस मंगा लिए गए थे सिस्टम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 8 फरवरी 2017 को इस समिति का गठन किया था. उसने 19 फरवरी 2018 को रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. हालांकि सरकार ने समिति की सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया है लेकिन रिपोर्ट में बताया गया है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने वे खराब सिस्टम भारत में इम्पोर्ट कर बेचे जिन्हें पूरी दुनिया से 2010 में वापस मंगा लिया गया था. कंपनी को ऐसा करने की क्या जरूरत थी.
एएसआर नाम से बेचे गए सिस्टम
समिति ने सवाल किया कि एएसआर एक्सएल एक्टाबुलर हिप सिस्टम और एएसआर हिप रीसर्फेसिंग सिस्टम में खराबी की बात उसके भारत में बेचे जाने से पहले ही सामने आ चुकी थी. समिति ने बताया कि इन खराब सिस्टम के कारण मरीजों की कई बार सर्जरी हुई, जिससे ब्लड में कोबाल्ट और क्रोमियम उच्च स्तर पर पहुंच गए और वह जहरीला हो गया. मेटल ऑयन से टीशू को नुकसान हुआ और इसका असर धीरे-धीरे शरीर के अंगों पर पड़ा. इससे मरीजों को तमाम तरह की शारीरिक दिक्कतें शुरू हो गईं.
कंपनी ने प्रतिक्रिया देने से इनकार किया
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन और ईएनटी के प्रोफेसर डॉ. अरुण अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने कंपनी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है. समिति के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक कंपनी डीपू ऑर्थोपेडिक्स आईएनसी ने जो इम्प्लांट डिवाइस बनाई थी उसे अमेरिका के खाद्य और औषधि विभाग ने 2005 में मंजूरी दे दी थी. लेकिन जब बार-बार सर्जरी की बात सामने आई तो कंपनी ने 24 अगस्त 2010 को सभी डिवाइस वापस मंगा लीं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि समिति की रिपोर्ट उसके पास नहीं भेजी गई है. इसलिए वह इस पर कमेंट नहीं कर सकती.
चलने-फिरने लायक नहीं रहे विजय अनंत
खबर में 6 मरीजों से बातचीत का भी जिक्र है और जैसा समिति का निष्कर्ष था उसके अनुसार मरीज काफी दिक्कत में मिले. इनमें मेडिकल डिवाइस कंपनी में पूर्व प्रोडक्ट मैनेजर विजय अनंत वोझाला शामिल हैं. इनका समिति ने बयान लिया था. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद मैंने 6 माह तक काम नहीं किया. इसके बाद जब नौकरी शुरू की तो चलने-फिरने में काफी परेशानी हो रही थी. मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी. सर्जरी कराने मुझे काफी महंगा पड़ा था. अब कंपनी कोई मुआवजा देने से भी इनकार कर रही है.