इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने नया संकट खड़ा हो गया है. आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका से उनका झगड़ा एक छोटी सी बात से और बढ़ गया है. ट्रंप प्रशासन के एक नुमाइंदे ने उन्हें पाकिस्तान का पीएम पद संभालने पर बधाई दी थी. साथ ही आतंकियों को उखाड़ फेंकने के लिए सख्त कार्रवाई करने की ताकीद की थी.
लेकिन इमरान खान के नुमाइंदों का कहना है कि बधाई की बात ठीक है लेकिन आतंकवाद को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और इमरान में कोई बातचीत नहीं हुई. इस बातचीत का ब्योरा ट्रंप प्रशासन ने बाद में प्रेस को जारी भी किया. इस्लामबाद ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उसने ट्रंप प्रशासन की प्रेस रिलीज को तत्काल खारिज करने की मांग की है. पोम्पियो के 5 सितंबर को इस्लामाबाद की यात्रा करने की उम्मीद है.
आतंकवाद से निपटने को कहा था अमेरिका ने
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक रिलीज जारी कर बताया कि विदेश मंत्री माइकल आर पोंपियो ने पाकिस्तान के पीएम को जीत की बधाई दी थी. उन्होंने कहा था कि अमेरिका, इमरान खान के साथ मिलकर आगे चलने के लिए तैयार है, लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान के पीएम से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक ढंग से निपटने को भी कहा. अफगान तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों को पाकिस्तान द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन दिए जाने से अमेरिका लंबे समय से परेशान रहा है जिसके चलते ट्रंप प्रशासन को इस्लामाबाद को चेतावनी देनी पड़ी और इस देश को वित्तीय सैन्य सहायता में कटौती करनी पड़ी.
अफगान शांति प्रक्रिया पर भी चर्चा की
विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नाउर्ट ने एक बयान में कहा कि खान के साथ अपनी बातचीत में पोम्पियो ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में पाकिस्तान की अहम भूमिका के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि पोम्पियो ने पाकिस्तान की सरजमीं पर संचालित हो रहे सभी आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का मुद्दा उठाया और अफगान शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने में उसकी अहम भूमिका पर चर्चा की.