नई दिल्ली। अगले साल यानी साल 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए विपक्ष की एकता बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है. देश की चार लोकसभा और 10 उपचुनाव के आज नतीजों में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. चार लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी के खाते में सिर्फ एक सीट ही आई. विधानसभा उपचुनाव में भी विपक्ष ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी, बीजेपी को ज्यादातर जगह हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि 2019 से पहले विपक्ष को तोड़ने के लिए पीएम मोदी का प्लान क्या है?
मोदी को हराने के लिए यूपी में सालों की दुश्मनी भूलाकर एसपी-बीएसपी की दोस्ती हो रही है, कर्नाटक में बीजेपी को रोकने के लिए जेडीएस ने कांग्रेस से हाथ मिलाया, बंगाल में ममता और लेफ्ट साथ आने के संकेत दे रहे हैं और झारखंड में जेएमएम और जेवीएम ने हाथ मिलाया है. बीजेपी को पता है कि एसपी, बीएसपी के साथ आने से यूपी में उसे नुकसान होगा. लेकिन पार्टी जीत के लिए सिक्के के एक तरफ विकास को रख रही है तो दूसरी ओर जातीय समीकरण को.
मोदी का प्लान ए
यूपी में मोदी ने दौरे भी बढ़ा दिये हैं. हर महीने मोदी कोई न कोई कार्यक्रम यूपी में कर रहे हैं. अमित शाह सोशल मीडिया टीम को दुरुस्त करने में जुटे हैं. हर बूथ के लिए पार्टी साइबर योद्धा तैयार कर रही है. यूपी में अगर बीजेपी को सीटों का नुकसान होता है तो पार्टी इसकी भरपाई के लिए प्लान बी पर भी कर रही है.
मोदी का प्लान बी
प्लान बी ये है कि यूपी से अगर सीटों का नुकसान होता है तो फिर इसकी भरपाई पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर के आठ राज्यों से करने की कोशिश होगी. इन राज्यों में लोकसभा की कुल 87 सीटें हैं. साल 2014 में बीजेपी को इनमें से सिर्फ 14 सीटें मिली थी.
बीजेपी इस बार बंगाल पर पूरा फोकस कर रही है. अमित शाह से लेकर पार्टी की पूरी टीम बंगाल की 42 सीटों में से 23 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है. ओडिशा में तो खुद पुरी सीट से पीएम मोदी के लड़ने की चर्चा है ताकि इस इलाके में बीजेपी के पक्ष में गोलबंदी हो सके. इसके अलावा बीजेपी ने एक तीसरा प्लान भी बना रखा है.
मोदी का प्लान सी
प्लान सी ये है कि समंदर किनारे वाले राज्यों में पार्टी नए साथी को तलाश रही है. दक्षिण भारत में बीजेपी इसके लिए बारीकी से काम कर रही है. तमिलनाडु में AIADMK, तेलंगाना में TRS और आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस के साथ बीजेपी तालमेल की कोशिश में है. ऐसा होता है तो फिर दक्षिण भारत की सीटों के जरिये उत्तर भारत के नुकसान की भरपाई होगी.