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लखनऊ। सरोजनीनगर के बिजनौर स्थित सीआरपीएफ ग्रुप केंद्र में शनिवार दोपहर एके-47 से संदिग्ध हालात में गोलियां चलने से हेड कांस्टेबल अरविंद कुमार (45) की मौत हो गई। गोलियों की तड़तड़ाहट से केंद्र में हड़कंप मच गया। सीआरपीएफ व पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और छानबीन शुरू की। पुलिस को घटनास्थल से एक एके-47 रायफल और कई खोखे मिले है, जिसे जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है। अधिकारियों का दावा है कि हेड कांस्टेबल कमरे में अकेला था और उसने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की है। हालांकि, पूरा घटनाक्रम और कमरे के हालात किसी साजिश की तरफ इशारा कर रहे हैं। फिलहाल पुलिस घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकालकर छानबीन कर रही है।
अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि अरविंद कुमार मूलरूप से मेरठ के किठौरा स्थित गोविंदपुर गांव का रहने वाला था और यहां सीआरपीएफ के आवासीय परिसर में रहकर मेस कमांडर का काम देख रहा था। उसकी पत्नी सुशीला, 14 वर्षीय बेटी तन्नू और नौ साल का बेटा मनीष मेरठ में ही रहते हैं। ग्रुप केंद्र के गेट नंबर तीन पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में वह दोपहर 12.49 बजे किसी से मोबाइल फोन पर बात करता हुआ साइकिल से भीतर जाता दिखा।
उसने गारद रूम के पास साइकिल खड़ी की और भीतर चला गया। भीतर जाते ही ताबड़तोड़ गोलियां चलने की आवाजों से हड़कंप मच गया। आसपास के कर्मचारी गारद रूम की तरफ दौड़े। भीतर अरविंद कुमार तखत पर खून से लथपथ हालत में पेट के बल पड़ा था। सूचना पाकर सीआरपीएफ के पुलिस उप महानिरीक्षक टीएन खुंटिया, कमांडेंट श्याम चंद्र व अन्य अफसर मौके पर आ गए। अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी के अलावा कृष्णानगर के क्षेत्राधिकारी लाल प्रताप सिंह और पुलिस भी आ गई। मौके से एक एके-47 रायफल व कई खोखे बरामद हुए हैं। फॉरेंसिक टीम और फिंगर प्रिंट विशेषज्ञों ने कमरे से महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए। परिवारीजन भी लखनऊ पहुंच गए हैं।
कॉल डिटेल की डिलीट कर दी गई
प्रभारी निरीक्षक राम सूरत सोनकर ने बताया कि अरविंद फोन पर किससे बातचीत कर रहा था, यह पता नहीं चल सका है। उसका मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि कॉल डिटेल डिलीट कर दी गई है। उसने खुद ही कॉल डिटेल डिलीट की या किसी और ने उसके मोबाइल फोन से साक्ष्य मिटाए, इसकी जांच की जा रही है। उसकी कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है।
कमरे में चारों तरफ गोलियों के निशान, कनपटी-पेट व हाथ-पैर पर लगीं
गारद रूम का नजारा बहुत ही भयावह था। कमरे में चारों तरफ गोलियों के निशान थे। एके-47 में कुल 30 कारतूस की मैगजीन होती है। पुलिस ने रायफल की जांच की तो 13 कारतूस सुरक्षित मिल गए। एक कारतूस रायफल की नाल में फंसा था। रायफल से कुल 16 गोलियां चलीं और अरविंद की बाईं कनपटी से घुसकर दाईं तरफ से निकलीं। बाएं हाथ में छह गोलियां लगी थीं। एक गोली पेट व एक पैर में लगी थी। पूरे शरीर पर गोलियां लगने से खुदकुशी की बात किसी के गले से नहीं उतर रही है। पुलिस का भी कहना था कि अगर कोई खुदकुशी करेगा तो सिर, कनपटी या सीने में गोली मारेगा।
गारद कमांडर की थी रायफल
जिस एके-47 रायफल से गोलियां चली थीं, वह गारद रूम के गारद कमांडर अनिल कुमार की थी। वह रायफल गारद रूम में रखकर लघुशंका करने गया था। हालांकि, नियमत: अनिल को रायफल नहीं रखनी चाहिए थी। उसे अपनी रायफल किसी अन्य जवान के सुपुर्द करके लघुशंका के लिए जाना चाहिए था।
दुर्व्यवहार पर मिली थी सजा, मेस के घाटे को लेकर चल रही थी जांच
सीआरपीएफ ग्रुप केंद्र के कमांडेंट श्याम चंद्र ने बताया कि अरविंद कुमार 13 सितंबर 2016 को लखनऊ आया था। कुछ दिन पूर्व दुर्व्यवहार का दोषी पाए जाने पर उसे दंडित किया गया था। इसके अलावा मेस में काफी घाटा हो रहा था, जिसकी जांच चल रही थी। हो सकता है कि वह तनाव में हो, इसलिए खुदकुशी कर ली हो। ग्रुप केंद्र के लोगों में यह भी चर्चा है कि रक्षाबंधन की छुट्टी को लेकर परिवार में कोई बात होने से उसने जान दे दी हो। विभागीय कर्मचारियों में यह भी चर्चा है कि अरविंद की एक अन्य जवान से किसी बात को लेकर कहासुनी हुई थी।
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