जयपुर। सत्ता के महासमर में भाजपा को पटखनी देने के लिए पूरी कोशिश में जुटी कांग्रेस के सामने फर्जी वोटर्स एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. कांग्रेस इस मामले को लेकर बेहद आक्रामक है. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से लेकर जिला कलेक्टर तक को इस मामले में शिकायत की है. कांग्रेस का आरोप है कि राजस्थान में 45 लाख फर्जी वोटर हैं और इनकी पड़ताल के लिए कांग्रेस की आईटी सेल ने पूरे राजस्थान में एक अभियान शुरू कर दिया है.
राजस्थान कांग्रेस का आरोप है कि इन 45 लाख फर्जी वोटर का फायदा भाजपा को होने वाला है. एआईसीसी संगठन महासचिव अशोक गहलोत और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस नेता निर्वाचन आयोग के समक्ष लिखित और मौखिक शिकायत कर चुके हैं. जबकि जयपुर कांग्रेस की ओर से भी जिला प्रशासन को इस मामले में आपत्ति दर्ज करवाई गई है अकेले जयपुर में 242000 फर्जी मतदाताओं का आंकड़ा जयपुर कलेक्टर के समक्ष पेश किया गया है अकेले किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में 19000 से अधिक फर्जी मतदाता बताए जा रहे है.
ये वही विधानसभा है जहां से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट वोटर है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अमीन कागज़ी व कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं जब किशनपोल विधानसभा में 2,06,000 मतदाताओं की वोटर लिस्ट में से पहचान पत्रों की जांच की तो 19,559 फर्जी मतदाताओं के नाम सामने आए. जिनमें पुरुष और महिला दोनों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल है इन में अधिकतर मतदाताओं के अलग-अलग बूथों पर एक ही मतदाता के तीन से पांच पहचान पत्र में नाम पिता का नाम लिंग और उम्र समान है,लेकिन पहचान पत्र क्रमांक अलग-अलग हैं जिसके कारण भी एक ही मतदाता अलग अलग बूथों पर वोट डाल सकता है. राजस्थान कांग्रेस की ओर से इस मामले में त्वरित कदम उठाए गए. राजस्थान की IT और विधि सेल की ओर से प्रदेश की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वकीलों की टीम को फर्जी मोटर्स की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गई है.
राजस्थान की 50 फ़ीसदी विधानसभा सीटों पर यह सेल काम कर चुकी है. शेष पर काम अभी जारी है. पूरी रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस पार्टी निर्वाचन आयोग के समक्ष रखेगी ताकि चुनाव आचार संहिता लगने से पहले मतदाता सूचियों के काम को दुरुस्त किया जा सके. फर्जी मतदाताओं के इन मामलों की की जांच के बाद ही पूरी तरह से साफ हो पाएगा कि क्या वाकई फर्जी वोटर्स का मामला है या डुप्लीकेसी का से जुड़ा हुआ इश्यू है. क्योंकि कई बार किसी वोटर के अन्य क्षेत्र में शिफ्ट होने की वजह से उसका नाम मतदाता सूची में रह जाता है. लेकिन अगर वाकई फर्जी वोटर्स का ही मामला है तो बेहद गंभीर है और चुनाव आयोग को इस मामले में गंभीरता बरतनी चाहिए.