नई दिल्ली। राफेल मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग पर वित्त मंत्री अरुण जेटली से 24 घंटे के भीतर जवाब मांगने के एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि जेटली को इस पर जल्द जवाब देना चाहिए क्योंकि ‘समयसीमा’ खत्म हो रही है. गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘प्रिय जेटली जी, राफेल की जांच के लिए जेपीसी के गठन के संदर्भ में आपकी समयसीमा खत्म होने में छह घंटे बचे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘युवा भारत इंतजार कर रहा है. मैं आशा करता हूं कि आप मोदी जी और अनिल अंबानी जी को इस बात के लिए मनाने में लगे हैं कि उन्हें आपकी बात क्यों सुननी चाहिए और इसकी अनुमति देनी चाहिए.’’
जेटली द्वारा कल राफेल मामले में कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप लगाए जाने के बाद राहुल गांधी ने उन पर पलटवार किया था और आरोप लगाया कि ‘आपके सुप्रीम लीडर’ अपने एक मित्र को बचा रहे हैं. गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘जेटली जी, ‘ग्रेट राफेल रॉबरी’ की तरफ राष्ट्र का ध्यान खींचने के लिए धन्यवाद. इस बारे में क्या खयाल है कि संयुक्त संसदीय समिति से इसका समाधान होगा? समस्या यह है कि आपके सुप्रीम लीडर अपने मित्र को बचा रहे हैं, इसलिए यह असुविधाजनक हो सकता है.’’
Dear Mr Jaitley,
Less than 6 hrs left for your deadline on the #Rafale JPC to run out.
Young India is waiting. I hope you’re busy convincing Modi Ji and Anil Ambani Ji about why they should listen to you & approve this! @ArunJaitley
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 30, 2018
Mr Jaitley, thanks for bringing the nation’s attention back to the GREAT #RAFALE ROBBERY! How about a Joint Parliamentary Committee to sort it out? Problem is, your Supreme Leader is protecting his friend, so this may be inconvenient. Do check & revert in 24 hrs. We’re waiting!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 29, 2018
कांग्रेस अध्यक्ष ने जेटली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘जांच-परख कीजिए और अगले 24 घंटों में जवाब दीजिए. हम इंतजार कर रहे हैं.’’ दरअसल, जेटली ने राफेल विमान सौदे के बारे में कांग्रेस के ऊपर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी पार्टी तथा उसके नेता राहुल गांधी फर्जी अभियान चलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ गंभीर खिलवाड़ कर रहे हैं.
अरुण जेटली के 15 सवाल
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के सवालों के जवाब देते हुये फेसबुक पर कहा कि 10 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ जो समझौता किया वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के 2007 के करार की तुलना में बेहतर शर्तों पर किया गया है. इसके साथ ही जेटली ने अपनी तरफ से गांधी से 15 सवाल भी पूछे हैं. फ्रांस की कंपनी डसाल्ट ने 2007 में 126 राफेल विमान की आपूर्ति की पेशकश की थी.
जेटली ने बोफोर्स का जिन्न बाहर निकालने की कोशिश करते हुए कांग्रेस से पूछा कि क्या उसके शासनकाल में निर्णय लेने में देरी की वजह आपसी लेनदेन तो नहीं थी जैसा कि बोफोर्स तोप खरीद सौदे में देखा गया. जेटली ने अनुबंध के गोपनीयता प्रावधानों की बाध्यता के कारण विमानों की कीमत आदि सौदे की विस्तृत जानकारियां सार्वजनिक करने से इंकार करते हुए एनडीए सरकार द्वारा विमान के लिये ऊंची कीमत देने और एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के आरोपों को पूरी तरफ झूठा बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी इस बात से इंकार कर सकती हैं कि राफेल विमानों की आपूर्ति के संबंध में भारत सरकार का किसी निजी कंपनी के साथ कोई करार नहीं है? सच यह है कि भारत के हिसाब से तैयार 36 राफेल विमान यहां भेजे जाने वाले हैं और उनका यहां भारत में विनिर्माण नहीं होने वाला है.’’
जेटली ने कहा कि राफेल विवाद तरह झूठ को आधार बनाकर बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा, राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और उनके जिम्मेदार नेताओं से यह उम्मीद की जाती है कि वे रक्षा सौदों के बारे में सार्वजनिक बहस में कूदने से पहले खुद को आधारभूत तथ्यों से अवगत रखेंगे. उन्होंने लिखा, ‘‘मैं ये सवाल कर रहा हूं क्योंकि उनके दुस्साहस से राष्ट्रीय हित प्रभावित हो रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी तत्काल इसका जवाब देंगी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘राफेल विमान सौदे के बारे में कांग्रेस पार्टी के स्तरहीन फर्जी अभियान से दो सरकारों के बीच हुए अनुबंध पर जोखिम के बादल छा रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर जोखिम उत्पन्न हो रहा हैं.’’ जेटली ने कहा कि कांग्रेस और राहुल तीन तरीके से इस मुद्दे पर दोषी हैं. इसमें सौदे में एक दशक से अधिक की देरी कर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़, कीमत एवं प्रक्रिया के बारे में झूठ फैलाना तथा इस तरह के मुद्दे उठाकर रक्षा खरीद को और टालना शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं कि मैं अनुबंध के गोपनीयता प्रावधानों से बंधा हुआ हूं और मुझसे जो कुछ भी पूछा जाएगा वह उसी दायरे में बंधा होगा.’’
जेटली ने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने अप्रैल में दिल्ली में तथा मई में कर्नाटक में इसकी कीमत प्रति विमान 700 करोड़ रुपये होने की बात कही. संसद में उन्होंने इसे घटाकर 520 करोड़ रुपये प्रति विमान कर दिया. इसके बाद रायपुर में उन्होंने इसे बढ़ाकर 540 करोड़ रुपये प्रति विमान कर दिया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हैदराबाद में उन्होंने 526 करोड़ रुपये की नयी कीमत खोज ली. सत्य का एक ही स्वरूप होता है जबकि झूठ के कई संस्करण होते हैं.’’