नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 35 A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है. अब अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी. इससे पहले तक उम्मीद थी कि आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले को संविधान पीठ में भेजने पर फैसला कर सकता है. इधर कश्मीर में सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है. श्रीनगर में अलगाववादियों के बंद को देखते हुए सेना भी मुस्तैद हो गई है. पत्थरबाजों से निपटने के लिए फौज ने मोर्चा संभाल लिया है.
बीते दिनों कश्मीर में 35 ए को लेकर अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद घाटी के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इसी के चलते आज सुनवाई से पहले ऐहतियातन राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा सख्त कर दी गई है.
27 अगस्त को भी सर्वोच्च अदालत में अनुच्छेद 35 A को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी थी, जो नहीं हो सकी. उससे पहले 6 अगस्त को हुई सुनवाई में जजों की कमेटी ने 35 A पर कई तरह के सवाल पूछे थे.
मामले की सुनवाई से पहले ही घाटी में इस मुद्दे पर बवाल हो रहा है. सोमवार को भी जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में कुछ जगह झड़प और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं थीं. 35A का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है, यही कारण है कि पिछली सुनवाई के दौरान अलगाववादियों ने घाटी में बंद बुलाया था.
क्या संविधान पीठ को भेजें मामला?
6 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या ये मामला संविधान पीठ में जाना चाहिए या नहीं. उन्होंने कहा कि हमें ये तय करना होगा कि क्या ये मामला 5 जजों की बेंच के पास भेजें या नहीं.
क्या है अनुच्छेद 35A?
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें.
अनुच्छेद 35A, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.
अनुच्छेद 35A में ये है विशेषाधिकार
अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.