नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने धोखाधड़ी रोकने के लिए सभी बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्रीय सरकारी विभागों को संवेदनशील पदों के कर्मचारियों की समय समय पर बदली करते रहने का निर्देश दिया है. सीवीसी ने इस संबंध में अपने पुराने दिशानिर्देश का हवाला देते हुए कहा कि धोखाधड़ी का एक कारण अदला-बदली नीति का पालन नहीं किया जाना है.
सीवीसी ने सार्वजनिक बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्रीय सरकारी विभागों को भेजे दिशानिर्देश में कहा, ‘एक बार फिर से यह कहा जाता है कि संवेदनशील पदों पर तीन साल से अधिक अवधि से बने अधिकारियों की चक्रीय बदली की जाए.’ आयोग ने इस साल मई में बैंकों और बीमा कंपनियों को तीन साल से अधिक समय से संवेदनशील पदों पर बने अधिकारियों की बदली करने को कहा था. उसने कहा, ‘सार्वजनिक बैंकों तथा अन्य संगठनों में हुई धोखाधड़ी का अध्ययन करने पर पाया गया कि इसके कारणों में से एक कारण समय समय पर बदली करते रहने की व्यवस्था का पालन नहीं किया जाना है.’ सीवीसी ने इस संबंध में अनुपालन रिपोर्ट भी मांगा है.
इससे पहले केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से वर्ष 2001 से सीबीआई के पास भेजे गए सभी बैंक धोखाधड़ी के विवरण मांगे हैं. सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन ने कहा कि इनसे बैंक धोखाधड़ी करने वाले लोगों के काम के तरीके का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी. यह केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकिंग प्रणाली में किए जाने वाले प्रणालीगत सुधार की नयी पहल का हिस्सा है. उन्होंने कहा, ‘हमने भारतीय रिजर्व बैंक से धोखाधड़ी के मामलों का ब्योरा जुटाया है. उन्होंने हमें 111 बड़े खातों का ब्योरा दिया है.’
इंडियन बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भसीन ने कहा कि सभी बैंकों से तीन करोड़ रुपये या उससे अधिक के धोखाधड़ी के मामलों का ब्योरा मांगा गया है. भसीन ने कहा, ‘2001 से सीबीआई के पास तीन करोड़ रुपये या उससे अधिक की धोखाधड़ी का मामले भेजे गये हैं, उनकी सूचना जुटाई जा रही है. हमने सार्वजनिक क्षेत्र के मुख्य सतर्कता अधिकारियों से बात की है. उन्हें 15 नवंबर तक आंकड़े देने को कहा गया है.’