नई दिल्ली। लैंड डील केस में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ केस दर्ज कराने वाला शख्स आजतक को मिल गया है. एफआईआर दर्ज कराने के बाद से गायब चल रहे सुरेंद्र शर्मा ने आजतक से बातचीत में कई अहम खुलासे किए हैं, साथ ही उन्होंने हरियाणा पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं.
सुरेंद्र शर्मा ने दावा किया है कि गुरुग्राम पुलिस ने उनका बयान दर्ज कर लिया है और वो जांच से संतुष्ट हैं. सुरेंद्र के मुताबिक, पुलिस ने उनसे एफआईआर पर एक्शन का भी वादा किया है.
सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. इस केस के बाद सियासी भूचाल आ गया है. कांग्रेस जहां इसे राजनीतिक द्वेष की भावना से प्रेरित कार्रवाई करार दे रही है, वहीं हरियाणा की बीजेपी सरकार ने कहा है कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
अब इस भूमि घोटाले में सुरेंद्र शर्मा ने रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ नए सबूत होने का दावा किया है. सुरेंद्र के मुताबिक, उन्होंने गुरुग्राम पुलिस को सबूत दे दिए हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि उनका भारतीय जनता पार्टी या किसी और से कोई वास्ता नहीं है. सुरेंद्र शर्मा ने खुद को समाजसेवी बताते हुए कहा कि पहले भी ये मामला उठा था, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ, इसलिए मैंने शिकायत की. इस बड़े केस में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि मुझे किसी से कोई डर नहीं है.
हरियाणा पुलिस पर सवाल
सुरेंद्र शर्मा ने एक और बड़ा खुलासा भी किया है. उन्होंने हरियाणा पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब वह एफआईआर दर्ज करवाने गए थे, पुलिस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. शर्मा ने बताया कि इसके बाद उन्होंने पुलिस के सामने सबूत रखे और पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी.
सुरेंद्र हरियाणा और राजस्थान के बॉर्डर पर बसे गांव राठीवास के रहने वाले हैं. यह गांव नूंह जिले में आता है. राठीवास राजपूतों का गांव है. एफआईआर दर्ज होने के एक दिन पहले से ही वह गायब थे.
ये है पूरा केस
एफआईआर गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई है. वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर गुरुग्राम के सेक्टर 83 में 3.5 एकड़ जमीन ओंकरेश्वर प्रॉपर्टीज से वर्ष 2008 में 7.50 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप है. जिस वक्त जमीन खरीदी गई उस वक्त हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री थे और उनके पास आवास एवं शहरी नियोजन विभाग भी था.
एफआईआर में कहा गया है कि स्काईलाइट ने बाद में हुड्डा के प्रभाव से कॉलोनी के विकास के लिए कमर्शियल लाइसेंस प्राप्त कर इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेचा. इसमें नियमों को उल्लंघन कर गुरुग्राम के वजीराबाद में डीएलएफ को 350 एकड़ जमीन बेचने का भी आरोप है, जिससे इस रियल एस्टेट कंपनी को 5000 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचा.