कानपुर/लखनऊ। बैचमेट को बचाने के लिए 16 आईपीएस अफसर दिन रात जद्दोजहद कर रहे हैं। यूपी, दिल्ली में एक्मो मशीन नहीं मिली तो छह साथियों ने मशक्कत की और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से मुंबई से मशीन और डॉक्टरों की टीम चार्टर प्लेन से बुलाई गई। रीजेंसी के डॉक्टरों ने बताया कि विदेश के भी किसी हॉस्पिटल में सुरेंद्र को इलाज के लिए भर्ती कराते तो इसी तरह से इलाज किया जाता। इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है।
सुरेंद्र दास के जहरीला पदार्थ खाने की सूचना मिलते ही लखनऊ इंटेलीजेंस की एसीपी चारू निगम, लखनऊ के एसपी विक्रांत, लखनऊ के आईजी सुजीत पांडेय, फतेहपुर की एसपी पूजा यादव, उत्तराखंड में तैनात आईपीएस मंजूनाथ कानपुर पहुंच गए। डॉक्टरों से बात की, सबसे बेहतर इलाज कैसे और कहां मिल सकता है। डॉक्टरों ने बताया कि जिंदगी बचाने के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम एक्मो मशीन की जरूरत है। उससे कृत्रिम दिल और फेफड़े मूल अंगों को आराम देकर उसे सुधारने में मदद करेंगे। इसके बाद सभी आईपीएस ने लखनऊ, दिल्ली समेत देश के कई हॉस्पिटलों में पता किया लेकिन कहीं भी पोर्टेबल एक्मो मशीन नहीं मिली। आखिरकार प्रयास रंग लाया और स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से मुंबई से डॉक्टरों की टीम और एक्मो मशीन का प्रबंध किया।
चार्टर प्लेन से चंद घंटे में डॉक्टरों की टीम एक्मो मशीन के साथ रीजेंसी हॉस्पिटल पहुंच गई। इसके बाद से आईपीएस रवीना त्यागी और उनके पति आईआरएस गौरव, आईपीएस डॉ. सतीश, अभिनंदन, अनूप, दिल्ली में तैनात राजीव रावल, अंकित मित्तल, श्लोक और मनीलाल पाटीदार रीजेंसी पहुंचे। डॉक्टरों से लेकर इलाज में आने वाले खर्च का प्रबंध सभी ने मिलकर कर रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस हेडक्वार्टर से अधिक से अधिक सहायता मिल सके इसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
साथी उठाएंगे चार्टर प्लेन का खर्च
चार्टर प्लेन से डॉक्टरों की टीम और एक्मो मशीन मंगाने में 17 लाख का खर्च आया है। इसे पुलिस हेडक्वार्टर नहीं देगा। सुरेंद्र के साथी आईपीएस को ही चार्टर प्लेन का खर्च उठाना पड़ेगा। एसपी पश्चिम संजीव सुमन ने बताया कि पुलिस हेडक्वार्टर से चार्टर प्लेन का खर्च मिल सके इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। अगर नहीं मिला तो सभी साथी मिलकर रकम अदा करेंगे।
इसलिए चार्टर प्लेन से लानी पड़ी एक्मो मशीन
मुंबई के डॉक्टरों ने बताया कि एक्मो मशीन में कृत्रिम हार्ट और फेफड़े होते हैं। इसलिए यह बहुत सेंसटिव होती है। मनुष्य के शरीर में जोड़ने के बाद हार्ट और फेफड़ों का काम मशीन ही करती है। इसे ट्रेन, प्लेन से एक से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता है।