कोलकाता। 2019 चुनावों में बस कुछ ही समय बाकी है. ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी अपनी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है. इन चुनावों में क्षेत्रीय क्षत्रपों में जिन चेहरों पर सबसे ज्यादा नजर रहेगी, उनमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का नाम सबसे ऊपर है. पीएम बनने की उनकी तीव्र उत्कंठा किसी से छिपी नहीं है. यही कारण है कि कई बार वह सीधे तौर पर कांग्रेस और राहुल गांधी के रास्ते में भी खड़ी होने से नहीं हिचकी हैं. हालांकि खुले तौर पर उन्होंने अभी तक कुछ नहीं कहा है, लेकिन अगले चुनावों के लिए किलेबंदी उन्होंने सबसे पहले और मजबूती से शुरू कर दी है. अब इसके लिए वह हिंदी की शरण में पहुंची हैं.
ममता बनर्जी ने बंगाल में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की अब हिंदी विंग की स्थापना की है. शुक्रवार को उन्होंने इस बारे में घोषणा की. इसके अध्यक्ष टीएमसी के विधायक अर्जुन सिंह होंगे. नेताजी इंडोर स्टेडियम में बिहारी राष्ट्रीय समाज के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, वह हिंदी बोलने वाली आबादी से विशेष लगाव महसूस करती हैं. यहां उन्होंने अपील करते हुए कहा, प्लीज मुझे अपनी बेटी की तरह समझें. इसी मौके पर उन्होंने टीएमसी की हिंदी विंग की स्थापना की घोषणा की और लगे हाथ ये भी बता दिया कि वह जल्द ही राज्य में एक हिंदी यूनिवर्सिटी खोलेंगीं.
दरअसल ममता बनर्जी ने ये दांव सोच समझकर चला है. बंगाल में करीब 20 फीसदी आबादी गैर बांग्लाभाषी है. इस आबादी में बड़ा हिस्सा भाजपा समर्थक माना जाता है, लेकिन अब टीएमसी सूत्रों का कहना है कि इससे भाजपा को बड़ा झटका लगेगा. ये 20 फीसदी आबादी बंगाल की कई सीटों पर हार जीत का गणित बदल देती है. देश में उप्र और महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें पश्चिम बंगाल में हैं.
पश्चिम बंगाल में बिहार के लोगों की आबादी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. इसलिए ममता बनर्जी ने एक सोची समझी रणनीति तहत ये कार्यक्रम आयोजित किया. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. इसमें 34 सीटें टीएमसी के पास हैं. चार कांग्रेस के पास और दो भाजपा के पास हैं. 2 सीटें सीपीएम के पास हैं.