नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) शहर में 17 लाख घर बनाएगा. इसमें 76 लाख लोगों को रहने के लिए ठिकाना दिया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण ने लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दे दी है. डीडीए के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय ने राजनिवास में उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक के दौरान नीति को मंजूरी दी. अब इस नीति पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की अनुमति का इंतजार है.
सभी मूलभूत सुविधाएं होंगी
लैंड पूलिंग नीति के तहत एजेंसियां एकत्र की गई जमीन पर सड़क, विद्यालय, अस्पताल, सामुदायिक केंद्र और स्टेडियम जैसी ढांचागत सुविधायें विकसित कर सकेंगी और जमीन का एक हिस्सा किसानों को हस्तांतरित कर सकेंगी. यह बाद में निजी बिल्डरों की मदद से आवासीय परियोजना पर काम शुरू करवा सकते हैं. डीडीए ने कहा कि 17 लाख घरों में 5 लाख से ज्यादा मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनेंगे.
पूल की हुई जमीन पर बनेंगे घर
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक सुझावों और आपत्तियों की प्रक्रिया से गुजरने के बाद डीडीए के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय ने नीति को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि यह नीति सबके लिये आवास उपलब्ध कराने के लक्ष्य को पूरा करने में लंबे समय के लिये कारगर होगी. पिछले वर्ष दिसंबर में डीडीए की शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय ने राष्ट्रीय राजधानी में लैंड पूलिंग नीति को सरल बनाने की मंजूरी दी थी और डीडीए की भूमिका सिर्फ एक “सुविधाकार, नियामक और योजनाकार” के रूप में रहेगी. इस अर्थ है कि पूल की गई भूमि को डीडीए को हस्तांतरित करने की आवश्यकता नहीं होगी.
2017 में योजना में निकाले थे 12617 फ्लैट
इससे पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 2017 में नई आवासीय योजना के तहत 12,617 फ्लैटों का ड्रॉ निकाला था. आवेदन करने के लिए आय की 4 श्रेणियां रखी गई थीं और सभी श्रेणियों में 46,000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था. ये फ्लैट रोहिणी, द्वारका, नरेला, वसंत कुंज, जसौला, पीतमपुरा, पश्चिम विहार और सिरसपुर में स्थित हैं.