इसके ठीक उलट ‘भूटानी रोनाल्डो’ के नाम से ख्यात भूटान के चेनचो पारोप ज्यालत्शेन एशिया के कई देशों से खेलने का प्रस्ताव मिलने के बावजूद भारत में खेलने को चुना। चेनचो भारत में हीरो आई लीग के मिनर्वा पंजाब एफसी से खेल चुके हैं और उसे पहले ही साल में चैंपियन बनाने में उन्होंने अहम रोल निभाया।
ढाका में सैफ फुटबॉल चैंपियनशिप में खेल रहे भूटान के चेनचो कहते हैं, ‘मुझे मलयेशिया, बांग्लादेश, मालदीव और यूरोप के कुछेक क्लबों से खेलने की पेशकश की गई। मेरा मानना है कि ढांचे के लिहाज फुटबॉल के लिए सबसे बेहतरीन सुविधाएं हैं और मैंने खेलने के लिए भारत को चुना। हमारे भूटान में फुटबॉल प्रेमियों में आईएसएल खासी लोकप्रिय हैं। मेरे प्रशंसक चाहते हैं कि मैं आईएसएल टीम के साथ करार कर हर मैच में खेलूं। भारत में फुटबॉल खेलने का सबसे बड़ा सबक भारत में फुटबॉल भारतीय खिलाडिय़ों के लिए महज खेल नहीं है और उनकी जिंदगी है। इसी से भारतीय फुटबॉल की जिंदगी बदल दी। भारतीय राष्ट्रीय टीम के कप्तान सुनील छेत्री के फुटबॉल के जज्बे का कायल हूं। सुनील की प्रतिबद्धता अन्य फुटबॉलरों को प्रेरित करती है।’