नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ते गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को लेकर संसद की एक समिति को भेजे अपने जवाब में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक राजन ने अपने जवाब में कहा है कि घोटालों और जांच की वजह से सरकार के निर्णय लेने की गति धीमी होने की वजह से एनपीए बढ़ते गए.
गौरतलब है कि वरिष्ठ बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होकर एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा था. अपने जवाब में राजन ने कहा है कि बैंकों द्वारा बड़े कर्जों पर यथोचित कार्रवाई नहीं की गई और 2006 के बाद विकास की गति धीमी पड़ जाने के बाद बैंकों की वृद्धि का जो आकलन था वो अवास्तविक हो गया.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए संकट को पहचानने और इसका हल निकालने का प्रयास करने के लिए समिति के सामने राजन की प्रशंसा की थी. सुब्रमण्यम ने समिति को बताया था कि एनपीए की समस्या को सही तरीके से पहचानने का श्रेय पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को जाता है और उनसे बेहतर यह कोई नहीं जानता कि आखिर देश में एनपीए की समस्या कैसे इतनी गंभीर हो गई. इसके अलावा सुब्रमण्यम ने यह दावा किया था कि अपने कार्यकाल के दौरान राजन ने इस समस्या को हल करने की महत्वपूर्ण पहल की थी.
जिसके बाद जोशी ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होने और उसके सदस्यों को देश में बढ़ते एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा.
बता दें कि सितंबर 2016 तक तीन साल आरबीआई के गवर्नर रहे राजन फिलहाल शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त मामलों के प्रोफेसर हैं. सुब्रमण्यम ने जुलाई में सीईए के नाते समिति के सामने बड़े कर्जों की भरपाई नहीं होने के मुद्दे पर जानकारी रखी थी.