जयपुर। राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते तथा पेंशनरों की महंगाई राहत दर दो प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा सोमवार को की. यहां जारी सरकारी बयान के अनुसार महंगाई भत्ते व महंगाई राहत दर में यह वृद्धि एक जुलाई 2018 से लागू होगी. राज्य के लगभग आठ लाख कर्मचारियों व साढ़े तीन लाख पेंशनभोगियों को इसका फायदा होगा. इस वृद्धि से चालू वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर लगभग 547 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
9 फीसदी हुआ DA
इसके अनुसार केंद्र सरकार के फैसले के अनुरूप ही राज्य सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते तथा पेंशन भोगियों की महंगाई राहत दर को बढ़ाकर नौ प्रतिशत किया है. बढे़ हुए दो प्रतिशत महंगाई भत्ते का लाभ राज्य कर्मचारियों के अतिरिक्त कार्य प्रभारित कर्मचारियों, पंचायत समिति, जिला परिषद कर्मचारियों तथा राज्य के पेंशनरों को भी देय होगा.
मध्य प्रदेश कर्मचारियों को मिला तोहफा
इससे पहले, मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग को लागू कर बड़ा तोहफा दिया है. यह बढ़ोतरी 1 जनवरी, 2016 से मानी जाएगी. मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को 32 माह का एरियर मिलेगा. मध्य प्रदेश के पब्लिक रिलेशन अफसर नरोत्तम मिश्र ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के सभी राज्य पोषित कॉलेजों के शिक्षकों को नए वेतनमान का फायदा मिलेगा. बढ़ी हुई सैलरी की रकम उनके जीपीएफ खाते में ट्रांसफर की जाएगी.
यूपी में टीचरों की सैलरी बढ़ेगी
इससे पहले यूपी सरकार ने टीचर्स डे पर शिक्षकों और प्रोफेसरों को बड़ा तोहफा दिया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने शिक्षकों और प्रोफेसरों के लिए 7वां वेतन आयोग लागू करने को मंजूरी दी है. यह वेतनमान स्टेट कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में लागू होगा. इस फैसले से शिक्षकों के वेतन में 15 हजार रुपए से 35 हजार रुपए के बीच बढ़ोतरी होगी. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि शिक्षकों और प्रोफेसरों के लिए नया वेतनमान लागू करने से सरकारी खजाने पर 921.54 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा और इसमें राज्य की भागीदारी 50% की होगी. यह बढ़ोतरी 1 जनवरी, 2016 से लागू है.
केंद्रीय कर्मचारी को है इंतजार
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा सैलरी बढ़ोतरी की मांग कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों का इंतजार लंबा होता जा रहा है. दरअसल, मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए किसी भी तारीख का ऐलान नहीं किया है. सूत्रों की मानें तो इस मामले में फिलहाल मोदी सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है. यह सरकार के एजेंडे में ही नहीं है. दरअसल, सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं, जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी केंद्रीय कर्मचारियों को और इंतजार करना पड़ेगा.