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हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली महिला को तेजाब से जला दिया

लखनऊ/ बुलंदशहर।  हलाला और बहुविवाह प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली महिला पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 13 सितंबर की दोपहर में एसिड से हमला हुआ है. पुलिस ने उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती करवाया है.

महिला के मुताबिक तेजाब से हमले के पीछे उसके देवर का हाथ है, जो उससे हलाला करना चाहता था. महिला के मुताबिक उसका पति भी अपने भाई का साथ दे रहा था. जब उसने सबका विरोध किया तो 12 सितंबर की रात को घरवालों ने उसकी पिटाई कर दी. महिला 13 सितंबर को एसएसपी से अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत करने जा रही थी. अभी वो डिप्टीगंज के पास पहुंची ही थी कि बाइक सवार दो लोगों ने उसपर तेजाब फेंक दिया. इससे वो गंभीर रूप से झुलस गई. सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसे बाबू बनारसी दास जिला अस्पताल में भर्ती करवाया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है. महिला ने पुलिस को बयान दिया कि उसके देवर और देवर के एक साथी ने उसपर तेजाब फेंका है. इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने दोनों को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

महिला मूल रूप से दिल्ली के ओखला की रहने वाली है. बुलंदशहर के अगौता इलाके के जौलीगढ़ में रहने वाले शख्स से उसका निकाह हुआ था. शादी के बाद उसके तीन बच्चे हुए. लेकिन एक दिन उसके पति ने उसे तीन तलाक दे दिया. तलाक के बाद उसका पति उसे फिर से अपनाना चाहता था. इसके लिए महिला पर हलाला करने का दवाब था. हलाला का मतलब ये है कि अगर किसी मुस्लिम महिला को उसका पति तलाक दे देता है और उसके बाद वो फिर से उस महिला से निकाह करना चाहता है, तो महिला को किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाने होंगे. महिला ने हलाला से इन्कार कर दिया और इसके खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने बहुविवाह, तलाक और हलाला के कई केस को एक साथ जोड़कर फैसला दिया. ये फैसला अगस्त 2017 में आया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए तीन तलाक देने पर रोक लगा दी और केंद्र सरकार से कहा कि वो छह महीने के अंदर इसपर कानून बनाए. अब उस फैसले को एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन केंद्र सरकार अभी तक कानून नहीं बना पाई है.

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