लखनऊ। यूपी के कुशीनगर जिले में एक हफ़्ते के अंदर एक मां और उसके दो बच्चों की भूख और कुपोषण से मौत हो गई है. ऐसा गांववालों का दावा है. हालाकि सरकार का कहना है कि उनकी मौत फूड प्वॉइजनिंग से हुई है. यूपी देश के सबसे ज्यादा कुपोषित राज्यों में से एक है और पहले भी यहां भूख से मौतों की ख़बरें आती रही हैं. आपको बता दे कि ये मौतें तब हुई है जब यूपी सरकार ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ मना रही है.
कुशीनगर में एक घर से एक हफ्ते में तीन अर्थियां उठ गई हैं और 30 साल की संगीता और उसका आठ साल का बेटा सूरज गुरुवार को मर गए. संगीता के दो महीने की बेटी मंगलवार को चल बसी. सरकार कहती है कि मौत की वजह भूख नहीं डाइरिया और फूड प्वॉइजनिंग है लेकिन ये उनकी घर की हालत गरीबी की इंतेहा बयां करती है. उनके पास राशन कार्ड तो है लेकिन घर में अनाज का एक दाना नहीं है.
संगीता का पति 35 साल का पति दिहाड़ी मजदूर है. वो मूशहर जाति के है जो अनूसूचित जाति है. संगीता के पति वीरेंद्र का कहना है कि मैं घर में नहीं था. मैंने पूरे दिन कुछ खाया नहीं है. मेरे पास मनरेगा का जॉब कार्ड है लेकिन मुझे एक साल से कोई काम नहीं मिला है. प्रधान दिनेश वर्मा ने कहा कि पिछले महीने उन्हें राशन कार्ड मिला था. इस महीने राशन अभी नहीं बंटा है. इसमें कोई शक नहीं की परिवार बहुत गरीब है. भूख से मौत की खबरें कई बार आती हैं लेकिन हमेशा विपक्ष उसे सही और सरकार गलत ठहराती है. सरकार कहती है कि उन्होंने मामूली दर पर राशन मिलता है इसलिए मौत की वजह भूख नहीं हो सकती.
इस मामले में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा है कि जिला प्रशासन का कहना है कि मौत फूड प्वॉइजनिंग की वजह से हुई है लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं है. उधर, कुशीनगर के चीफ मेडिकल ऑफिसर हरिनारायण सिंह का कहना है कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वे गरीब हैं लेकिन उनकी मौत इसलिए हुई है क्योंकि उनका खान-पान सही नहीं था.
एक तरफ कुपोषण और गरीबी से मौत हैं तो दूसरी तरफ सरकारी पीडीएस सिस्टम के घोटाले है. मुलायम और मायवती के वक्त के खड़े घोटालों की सीबीआई जांच हो रही है. योगी सरकार में तीन महीने में 30 करोड़ का राशन का अनाज बाजार में बेच दिया गया. उधर, अफसर कहते हैं कि उनके खाने-पीने की आदतें सही नहीं है इसलिए मर गए.