नई दिल्ली। शराब कारोबारी विजय माल्या के मामले में पिछले दो दिनों में जो कुछ हुआ है उससे भारतीय राजनीति में भूचाल सा आ गया है. विजय माल्या ने बताया कि वह लंदन रवाना होने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिला था. इसी मुद्दे पर बवाल जारी है. अब इस मामले की कई परतें खुलती जा रही हैं, कई खुलासे ऐसे हुए हैं जिनसे वित्त मंत्री, सीबीआई और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सभी सवालों के घेरे में हैं.
1. वित्त मंत्री से मुलाकात पर सवाल
विजय माल्या ने लंदन में कहा कि वह यहां से जाने से पहले अरुण जेटली से मिला था. जिसपर जेटली ने कहा कि ये मुलाकात कोई औपचारिक नहीं थी, बल्कि संसद के गलियारे में चलते-चलते जबरदस्ती की मुलाकात थी. अब वित्त मंत्री के इस दावे पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को अपने साथी नेता पीएल पुनिया के साथ मीडिया के सामने आए और बताया कि माल्या-जेटली की मुलाकात के वे गवाह हैं. कांग्रेस सवाल उठा रही है कि अगर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माल्या से मुलाकात की थी तो उन्होंने दो साल से इस बात को देश के सामने क्यों नहीं रखा. इसके अलावा राहुल गांधी का सवाल था कि अगर जेटली को पता था कि माल्या जा रहा है तो उन्होंने सीबीआई को क्यों नहीं बताया.
2. सीबीआई ने लुकआउट सर्कुलर में बरती ढिलाई
इस मामले में दूसरा बड़ा सवाल सीबीआई से उठता है. दरअसल, गुरुवार को ही सीबीआई की ओर से बयान आया कि शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ 2015 के लुकआउट सर्कुलर में बदलाव करके ‘हिरासत’ से बदलकर उसके आवागमन के बारे में केवल सूचना देना निर्णय की ‘त्रुटि’ थी क्योंकि वह जांच में सहयोग कर रहा था और उसके खिलाफ कोई वारंट नहीं था.
दरअसल, सर्कुलर जारी होने के बाद विजय माल्या ने दो से तीन विदेश यात्राएं की. विदेश जाने के बाद वह लगातार भारत वापस आता रहा, जिससे सीबीआई को लगा कि वह सहयोग कर रहा है. यही कारण रहा है कि जब वह लंदन के लिए रवाना हुआ तो किसी ने गौर नहीं किया और वह फिर ऐसा निकला की अभी तक लौट कर ही नहीं आया.
3. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर वकील ने उठाए सवाल
विजय माल्या मामले में अहम किरदार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बारे में भी गुरुवार को एक चौंकाने वाली बात सामने आई. वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दावा किया कि जब माल्या देश से फरार हुआ उससे करीब 24 घंटे पहले ही उन्होंने SBI को माल्या का पासपोर्ट जब्त करवाने की सलाह दी थी.
उनके अनुसार, ‘एसबीआई के साथ मेरी रविवार को मुलाकात हुई. इस मुलाकात में मैंने एसबीआई को सलाह दी कि वो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए. इसके बाद तय बातचीत के मुताबिक मैं समय पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन एसबीआई की टीम वहां नहीं पहुंची. मुझे संदेह है कि मेरे सलाह के बाद कुछ तो हुआ था, क्योंकि एसबीआई चीफ मेरे सलाह से सहमत थे. रविवार की रात से सोमवार की सुबह के बीच क्या हुआ मैं नहीं जानता.’