बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने प्रीजेंटेशन के जरिए अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर काफी ज्यादा है और दूसरे देशों की तुलना में भारत मेंमहंगाई काबू में है.
तेल कीमतों में बढ़ोतरी और डॉलर के प्रति रुपये की कमजोरी पर अरुण जेटली ने कहा, ‘अमेरिका में कुछ नीतिगत फैसले लिए गए हैं, जिसके चलते डॉलर मजबूत हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ी हैं. इन सबका प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.’
बता दें कि रुपया पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था. अगस्त में रुपया छह प्रतिशत के करीब गिरकर 72 से नीचे चला गया था. वहीं, इस समय डीजल और पेट्रोल के भाव भी रिकार्ड स्तर पर चल रहे हैं. विपक्ष ने इसके खिलाफ 10 सितंबर को भारत बंद का आयोजन किया था और डीजल पेट्रोल पर शुल्क घटाने के लिए दबाव बनाया था.
शुक्रवार को दिल्ली में पेट्रोल 81.28 रुपये और मुंबई में 88.67 रुपए प्रति लीटर तथा डीजल क्रमश: 73.30 और 77.82 रुपये लीटर के स्तर पर चला गया. अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे के तेल में उछाल और डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट के चलते तेल कंपनियों को ईंधन के खुदरा दाम बढ़ाने पड़ रहे है.
पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम में दो रुपये लीटर की कमी करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व छोड़ना पड़ेगा. सरकार इस समय राजकोषीय घाटे को बढ़ने की कोई छूट देना का जोखिम नहीं ले सकती.