बेंगलुरू। भारत और फ्रांस ने मिलकर समुद्री निगरानी के लिए 8-10 उपग्रह भेजने की योजना बनाई है. फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के प्रमुख ज्यां येव्स ली गॉल ने यह जानकारी दी. यह किसी भी देश के साथ भारत की सबसे बड़ी अंतरिक्ष साझेदारी होगी. उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले आठ-दस समुद्री निगरानी उपग्रह का फोकस हिंद महासागर पर होगा. इस क्षेत्र में चीन की मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में इस कदम से चीन पर नजर रखने में मदद मिलेगी.
गॉल ने बताया कि फ्रांस, मंगल और शुक्र ग्रह पर भेजे जाने वाले अंतर ग्रह मिशनों पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ अपनी विशेषज्ञता भी साझा करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमने समुद्री निगरानी के लिए नए उपग्रहों के समूहों पर बातचीत शुरू कर दी है. निश्चित तौर पर इसमें समय लगेगा.’’
पांच साल में पूरी होगी परियोजना
यह पूछे जाने पर कि कितने उपग्रह परियोजना का हिस्सा होंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘इनकी संख्या आठ से दस होगी.’’ सीएनईएस के अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्षेपण का मकसद समुद्री यातायात प्रबंधन की निगरानी करना है. उपग्रहों के प्रक्षेपण में पांच साल से भी कम समय लगेगा.
इस साल मार्च में भारत और फ्रांस ने अंतरिक्ष के लिए संयुक्त विजन पेश कर इसरो और सीएनईएस के बीच सहयोग मजबूत करने का संकल्प जताया था. संयुक्त विजन स्टेटमेंट में कहा गया, ‘इसरो और सीएनईएस साझा उत्पादों और तकनीक के विकास के लिए साथ मिलकर काम करेंगे. इसमें भूमि और समुद्र में संपत्तियों की रक्षा और निगरानी के लिए ऑटोमेटिक आइडेंटीफिकेशन सिस्टम शामिल हैं.’
संचार की कई महत्वपूर्ण समु्द्री लेन हिंद महासागर से होकर गुजरती हैं और इसलिए ये क्षेत्र भारत और फ्रांस के लिए रणनीतिक महत्व रखता है. अधिकारियों ने बताया कि हिंद महासागर क्षेत्र नई दिल्ली के लिए अहम है और फ्रांस की भी सीमाएं हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के आसपास फैली हुई है.