वॉशिंगटन। अमेरिका में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली मुलाकात का अमेरिका ने स्वागत किया है और इसे शानदार ख़बर बताया है. भारत ने पाकिस्तान के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है जिसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यूएन जनरल असेंबली के सेशन के दौरान मुलाकात की दरखास्त की गई थी.
स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा, “हमें इसकी (भारत-पाक नेताओं के मुलाकात की) जानकारी मिली. मुझे लगता है कि ये दोनों देशों के लोगों के लिए शानदार ख़बर है कि दोनों देश साथ बैठकर बातचीत करेंगे.” नोर्ट ने भारत-पाकिस्तान के पीएम द्वारा एक दूसरे को लिखी गई चिट्ठियों का भी स्वागत किया. नोर्ट ने कहा, “हमने वो ख़बरें भी देखी हैं जिनमें पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और पीएम मोदी के बीच सकारात्मक संदेश के आदान-प्रदान की बात कही गई है.”
नोर्ट को उम्मीद है कि इन सब बातों से दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार आएगा और भविष्य में दोनों देशों के बेहतर द्विपक्षीय संबंध होंगे. अमेरिका ने हमेशा से भारत-पाक बातचीत का स्वागत किया है. वहीं, इसका मानना रहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत की गति इस बात पर निर्भर करती है कि यहां किनके हाथों में सत्ता की चाबी है.
कायम है पाक का दोहरा रवैया
एक तरफ पाकिस्तान के पीएम इमरान खान पीएम नरेंद्र मोदी को बातचीत के लिए चिट्ठी लिख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी फौज भारत के सिपाहियों का गाल काट रही है. ऐसे ही एक मामले में पाकिस्तान ने भारत के एक बीएसएफ जवान को मारने से पहले उसके शरीर को तार-तार कर दिया. पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिक के शव के साथ बर्बर व्यवहार किए जाने पर शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती ने गहरा रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को भी दुश्मन फौज को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए और अगर वे एक भारतीय सैनिक का गला काटते हैं तो उनके 10 सैनिकों के गले काट लेने चाहिए.
गौरतलब है कि धर्मवती के पति लांसनायक हेमराज सिंह 8 जनवरी 2013 को जब जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सीमा पर गश्त कर रहे थे, तभी पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के सदस्यों ने मेंढर इलाके में एलओसी पर मनकोट नाले के पास भारतीय गश्ती दल पर घात लगाकर हमला कर हेमराज सिंह और सुधाकर सिंह को मार डाला था और हेमराज सिंह का सिर काट कर ले गए थे.
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी जैसे नेता जब विपक्ष में थे तब ऐसी ही घटनाओं पर गहरा रोष प्रकट करते हुए एक भारतीय सैनिक के सिर के बदले 10 पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काटकर लाने की बात कही थी. धर्मवती ने उसी बात को याद दिलाते हुए आज रोष जताया और पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिए जाने की मांग की.
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और हमारी सरकार इसकी ओर ध्यान नहीं दे रही है. जब तक भारत के सैनिक अपने एक सैनिक के सिर के बदले पाकिस्तानियों के दस सिर नहीं लाएंगे, तब तक वह सुधरने वाला नहीं है. इसके लिए सैनिकों को और छूट दी जानी चाहिए.’’
न्यूयॉर्क में मिलेंगे सुषमा और कुरैशी
शहीद की पत्नी की इस मांग के बीच पाकिस्तान की तरफ से आई अमन की बात और मुलाकात की पेशकश का भारत ने भी सकारात्मक जवाब दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की चिट्ठी में दोनों विदेश मंत्रियों की मुलाकात के प्रस्ताव को भारत ने स्वीकार कर लिया है. ऐसे में तय किया गया है कि न्यूयॉक में हो रही संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्विपक्षीय मुलाकात की मेज पर भी अलग से मिलेंगे.
हालांकि, करीब 3 साल बाद हो रही दोनों विदेश मंत्रियों की इस द्विपक्षीय मुलाकात को फिलहाल भारतीय खेमा बातचीत के किसी नए सिलसिले को बताने से बच रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक पाकिस्तान के आग्रह पर तय हुई इस मुलाकात में दोनों विदेशमंत्री मिलेंगे. इस मुलाकात का समय और तारीख न्यूयॉर्क में दोनों देशों के दूतावास मिलकर तय करेंगे. मगर दोनों नेताओं की इस मुलाकात को केवल मुलाकात ही माना जाए. इसे नई वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत करार देना मुनासिब नहीं है.
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लिखे गए बधाई पत्र के जवाब में पाक पीएम ने उन्हें चिट्ठी लिखी थी. हाल ही में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने भारत की विदेश मंत्री को यह पत्र सौंपा जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की न्यूयॉर्क में मुलाकात का सुझाव दिया गया था. इसी क्रम में पाक विदेश मंत्री ने भी सुषमा स्वराज को चिट्ठी लिख प्रधानमंत्री इमरान खान के खत का हवाला देते हुए न्यूयॉर्क में मुलाकात का आग्रह किया. इसी के मद्देनजर भारत ने पाकिस्तानी आग्रह को स्वीकार कर मुलाकात करने का फैसला किया है.
इस ऐलान के बीच यह सवाल लाजिमी हैं कि सुषमा स्वराज और शाह महमूद कुरैशी जब मिलेंगे तो बातचीत के मुद्दे क्या होंगे? दोनों खेमे इस बारे में फिलहाल भले ही चुप्पी साधे हों लेकिन संकेत हैं कि यह मुलाकात आगे बातचीत के नए सिलसिले की जमीन तैयार कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय खेमा यह देखेगा कि वार्ता की मेज पर कुरैशी क्या लेकर आते हैं और भारत की चिंताओं के जवाब में उनके जेब में क्या समाधान हैं. इसके बाद ही आगे के किसी कदम के बारे में फैसला हो सकेगा.
बातचीत के संभावित मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने एक विषय की तस्दीक जरूर की और वो है करतारपुर साहिब गलियारा खोलने का. रवीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि विदेश मंत्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए रास्ता खोलने का मुद्दा पाकिस्तानी विदेश मंत्री से होने वाली अपनी चर्चा में प्रमुखता से उठाएंगी. यह मुद्दा भारत 1999 में प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा के समय से लगातार उठाता रहा है.
हालांकि, आतंकवाद के मुद्दे पर भारत किन सवालों के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री से रूबरू होगा इसको लेकर फिलहाल विदेश मंत्रालय सीधे जवाब से बच रहा है. इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि विषय अभी तय किए जा रहे हैं. इसका यह मतलब नहीं कि हम इन मुद्दों को नहीं उठाएंगे लेकिन जब तक बातचीत का एजेंडा तय नहीं हो जाता कुछ कहना मुनासिब नहीं होगा.
गौरतलब है कि बीते चार सालों में भारत औऱ पाकिस्तान के बीच बातचीत की गाड़ी पहले गियर से आगे नहीं बढ़ पाई. दोनों मुल्कों के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रीयों के बीच आधा दर्जन से ज्यादा मुलाकातों के बावजूद सहमति कम और मतभेद ज्यादा नजर आए. भारत के खिलाफ पठानकोट, उरी, नगरौटा और सुंजवां जैसे सैन्य ठिकानों पर पाकिस्तानी आतंकियों के हमलों ने भारत की कोशिशों को लहूलुहान किया. तो वहीं हाफिज सईद, सैय्यद सलाहुद्दीन और अजहर मसूद जैसे आतंकियों की सीनाजोर सरपरस्ती ने भारत के घावों पर नमक रगड़ा. ऐसे में आतंकवाद औऱ बातचीत साथ न चल पाने की बात करने वाले भारत के लिए सियासी यू-टर्न आसान नहीं होगा.
विदेश मंत्रियों की मुलाकात की इस ताजा कवायद के बीच भारत अमन की कोशिशों में किसी बड़े निवेश के मूड में नहीं है. खासकर ऐसे में जबकि भारत में चुनावी हवाएं अब धीरे-धीरे तेज हो रही हैं. दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के लाहौर दौरे और उसके चंद दिन बाद पठानकोट एअरबेस पर आतंकी हमले जैसा घटनाक्रम बीजेपी सरकार का सियासी गणित गड़बड़ा सकता है. जानकारों के मुताबिक चुनावी माहौल में भारत की तरफ से किसी बड़े ऐलान की उम्मीद अभी धुंधली है.
कैग ने गुजरात सरकार के कुपोषण के आंकड़ों को खारिज किया
गांधीनगर, 20 सितंबर (भाषा) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा कि गुजरात सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की गणना पद्धतियों से अलग जाकर राज्य में बच्चों के कुपोषण की कम संख्या प्रदर्शित की है.