नई दिल्ली। दिल्ली में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में शिक्षाविदों से बातचीत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा. उन्होंने कहा ‘मैंने एक बार मोहन भागवत को सुना. वह कह रहे थे हम पूरे देश को संगठित करने जा रहे हैं. मैं मोहन भागवत से पूछना चाहूंगा कि देश को संगठित करने वाले आप कौन होते हैं? आप किसी तरह के कोई भगवान हैं क्या? यह देश अपने आप चलेगा. कुछ ही महीनों में मोहन भागवत का सपना चकनाचूर हो जाएगा.’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकारी शिक्षण संस्थानों पर अधिक निवेश की जरूरत पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि देश को किसी एक विचारधारा से नहीं चलाया जा सकता. उन्होंने कहा, ‘देश में ऐसा लग रहा है कि एक विचारधारा लोगों पर थोंपी जा रही है. आज किसान, मजदूर, नौजवान, हर कोई कह रहा है कि 1.3 अरब का देश किसी एक खास विचारधारा के जरिए नहीं चलाया जा सकता.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले घोषणापत्र पर इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा कि सरकार बनने के बाद प्रतिवर्ष कितना खर्च शिक्षा पर किया जाएगा. उन्होंने शिक्षाविदों के साथ संवाद कार्यक्रम में कहा, ‘भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ चीजों पर समझौता नहीं हो सकता. महत्वपूर्ण बात यह कि भारतीय शिक्षण व्यवस्था को अपनी राय रखने की अनुमति होनी चाहिए. गुरु वो है जो आपको दिशा देता है और आपको अभिव्यक्ति की प्रोत्साहित करता है. गुरु को अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए.’
गांधी ने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि शिक्षा व्यवस्था काम करे तो उसमें सद्भाव होना जरूरी है. शिक्षक को महसूस होना चाहिए कि वह देश के लिए त्याग कर रहा है और बदले में देश भी उसे कुछ दे रहा है.’ शिक्षकों को अनुबंध पर रखे जाने की व्यवस्था पर उन्होंने कहा, ‘शिक्षक को कांट्रैक्ट पर रखते हैं और कोई भविष्य नहीं देते और इससे कक्षा में सद्भाव नहीं होता…यह व्यवस्था नहीं होनी चाहिए.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘शिक्षा व्यवस्था में बढ़ती लागत एक समस्या है. यह वहां पहुंच चुका है जो अस्वीकार्य है.’ उन्होंने कहा, ‘जब ओबामा कहते हैं कि अमेरिका के लोग भारत के इंजीनियरों से स्पर्धा कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि ओबामा आप लोगों की तारीफ कर रहे हैं. वह बुनियादी ढांचे की तारीफ नहीं कर रहे हैं.’