नई दिल्ली। देश में शिक्षा का अधिकार लागू हुए एक दशक का वक्त हो चुका है और अब शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की कोशिशें की जा रही हैं. लेकिन स्कूलों और बच्चों की जो हालत है उससे तो लगता है कि हमें अब भी मूलभूच ढांचे में सुधार की जरूरत है. असम से एक ऐसी ही तस्वीर आई है जो हमारी शिक्षा व्यवस्था और सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़ी करती है.
केंद्र सरकार भले ही पूर्वोत्तर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हो लेकिन असम की यह तस्वीर उन सभी कोशिशों पर पलीता लगा रही है. यहां के बिश्वनाथ जिले में नाद्वार में बच्चे अपने प्राइमरी स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं. दरअसल इन बच्चों को यहां बने सरकारी स्कूल जाने के लिए एलुमिनियम के पतीले में बैठकर नदी पार करनी पड़ती है और वह अपने साथ बड़ा सा पतीला लेकर स्कूल आते हैं.
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मीडिया में बच्चों का वीडिया रिपोर्ट होने के बाद इलाके से बीजेपी विधायक प्रमोज बोर्थकुर ने कहा कि मैं यह देखकर शर्मिदा हूं. उन्होंने कहा कि इलाके में PWD की एक भी सड़क नहीं है, मुझे नहीं पता कि सरकार ने इस टापू पर कैसे स्कूल का निर्माण किया. हम बच्चों के लिए जरूर नाव उपलब्ध कराएंगे और जिलाधिकारी से भी स्कूल को किसी अन्य जगह पर शिफ्ट करने के लिए कहेंगे.
बच्चों के लिए नाव या पुल कब तैयार होगा पता नहीं. लेकिन मौजूदा वक्त में यह तस्वीरें हमारी शिक्षा व्यवस्था और सिस्टम पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर रही हैं.