लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश बहुत अहम है. अगर, बीजेपी को 2014 की जीत दोहरानी है तो हर हाल में उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर फतह करनी होगी. लेकिन, बीजेपी की चुनौती सपा और बसपा गठबंधन को लेकर है. ऐसे में बीजेपी की नजर अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर है. इन वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी प्रदेश में विशेष सम्मेलन करवाने पर विचार कर रही है. पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस सम्मेलन के तहत बीजेपी की नजर कम से कम 7 अनुसूचित जातियों को अपने पाले में करने की है.
अनुसूचित जाति के लोगों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी नेतृत्व ने राम शंकर कठेरिया, लाल जी निर्मल ,कांता कदम, राम शकल शाक्य जैसे नेताओं को आगे करने पर विचार कर रही है. इससे पहले बीजेपी प्रदेश में ओबीसी सम्मेलन (4-24 सितंबर) का आयोजन कर चुकी है. इस सम्मेलन के जरिए बीजेपी ने ओबीसी वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश की है.
सपा और बसपा गठबंधन बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, इसको लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि बीजेपी के सामने गठबंधन कोई चुनौती नहीं है. अभी तक गठबंधन की स्थिति साफ नहीं हो पाई है. इस गठबंधन में सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस और रालोद (राष्ट्रीय लोकदल) को जगह मिलेगी या नहीं, पता नहीं चल पा रहा है.
गठबंधन बनने से पहले ही दरार की खबरें जगजाहिर है. मायावती कहती हैं कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती है तो वो अकेले चुनाव लड़ेंगी. धमकी के बावजूद सपा प्रमुख का कहना है कि वे गठबंधन के खातिर पीछे हटने को तैयार हैं. कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि वे भी गठबंधन का हिस्सा होंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ में बसपा और उनके विरोधी दल के बीच गठबंधन हो जाता है.
इन तमाम परिस्थितियों के बीच एक बात साफ है कि अगर सपा और बसपा का गठबंधन बिना किसी मतभेद का होता है तो बीजेपी की राह उतनी आसान नहीं रह पाएगी. यूपी में हुए तमाम उपचुनावों में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा. नतीजा रहा कि बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यहां तक कि फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. दोनों सीटों से केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ सांसद थे.
बीजेपी किस रणनीति के साथ उत्तर प्रदेश की जनता के बीच पहुंचेगी, इसको लेकर महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि हम विकास के कामों को लेकर जनता के बीच पहुंचेंगे. हम बूथ स्थर तक संगठन को मजबूत करने पर लगे हुए हैं. बूथ स्तर के हमारे कार्यकर्ता सरकार की तमाम योजनाओं और विकास के कामों को जनता के बीच लेकर जाएंगे. सबसे बड़ी बात बीजेपी का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, लेकिन गठबंधन का कोई चेहरा ही नहीं है.