नई दिल्ली। एशिया कप के फाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला बांग्लादेश जैसी टीम से था. सभी को पता था कि बांग्लादेश कमजोर टीम है, लेकिन वह कभी भी ऐसा वार कर सकती है, जो किसी भी टीम को धराशायी कर सकता है. श्रीलंका में हुए निदाहास ट्रॉफी के फाइनल में उसने टीम इंडिया के हाथ से करीब करीब जीत छीन ही ली थी, लेकिन दिनेश कार्तिक ने एक अंसभव सी जीत को टीम इंडिया की झोली में डाल दिया था. एशिया कप के फाइनल में भी जब दिनेश कार्तिक और महेंद्र सिंह धोनी के साथ क्रीज पर थे, तो यही ख्याल सभी के मन में था.
चौथे विकेट के लिए धीमी शुरुआत के बाद कार्तिक और धोनी ने 54 रन से ज्यादा की साझेदारी कर टीम को जीत की राह पर पहुंचा दिया. हालांकि एक समय जब टीम ने एक के बाद एक 5 विकेट गंवा दिए तो लगा कि टीम इंडिया संकट में फंसने वाली है. लेकिन अंत में केदार जाधव ने कुलदीप यादव के साथ मिलकर टीम को जीत दिला दी.
1. केदार जाधव : टीम इंडिया के नए गोल्डन आर्म बाॅलर
टीम इंडिया के लिए एक पार्ट टाइम स्पिनर के रूप में खेलने वाले केदार जाधव फिर से टीम के लिए गोल्डन आर्म बॉलर साबित हुए. जब बांग्लादेश की टीम ने 120 रनों तक कोई विकेट नहीं गंवाया तब रोहित ने उन्हें मोर्चे पर लगाया. उन्होंने अपनी टीम को निराश नहीं किया. ओवर की 5वीं गेंद पर ही उन्होंने अपनी टीम को पहली कामयाबी दिला दी. मेहदी हसन को उन्होंने 32 रनों के स्कोर पर अंबाती रायडू के हाथों कैच करा दिया. इस एक झटके के बाद तो बांग्लादेश टीम अंत तक संभल नहीं पाई. 120 रनों पर पहला विकेट गंवाने वाली टीम ने 31 रनों में 5 विकेट गंवा दिए. इसके बाद बीच में थोड़ी स्थिति सुधरी, लेकिन 101 रन और जोड़कर पूरी टीम आउट हो गई. केदार जाधव के रिकॉर्ड पर निगाह डालें तो उन्होंने वनडे करियर में अब तक 21 विकेट लिए हैं. इसमें 10 विकेट उन्होंने टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों के झटके हैं. टॉप ऑर्डर के ये बल्लेबाज पहले, दूसरे या तीसरे नंबर के हैं. केदार जाधव ने जिस मैच में भी 4 ओवर बॉलिंग की है, उसमें से टीम इंडिया ने 13 जीते हैं. सिर्फ 2 मैचों में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा है. एक मैच टाई हुआ है.इस मैच में उन्होंने 9 ओवर में 41 रन देकर 2 विकेट झटके. टीम इंडिया ने जब 137 रनों पर चौथा विकेट गंवाया तब धोनी का साथ देने के लिए केदार जाधव ही आए. उन्होंने छक्के से अपनी पारी की शुरुआत की. अंत में 23 रन बनाकर उन्होंने भारत का जिताकर ही दम लिया.
2. भुवनेश्वर कुमार/रविंद्र जडेजा की सबसे कीमती साझेदारी
160 रन पर टीम इंडिया ने धोनी के रूप में सबसे मजबूत विकेट खो दिया. उस समय टीम इंडिया को जीत के लिए 63 रन चाहिए थे. 5 विकेट हाथ में विकेट पर सिर्फ केदार जाधव और जडेजा की ही आखिरी जोड़ी थी. ऐसे में टीम इंडिया को एक और झटका लगा, जब केदार जाधव चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए. ऐसे में रविंद्र जडेजा का साथ देने के लिए भुवनेश्वर कुमार आए. मैच जिस क्षण पर था, उस समय किसी की भी जीत संभव थी, लेकिन दोनों ने मिलकर छठे विकेट के लिए 45 रनों की साझेदारी कर मैच को टीम इंडिया के नाम करीब करीब कर दिया. जडेजा 33 बॉल में 23 रन बनाकर आउट हुए. उनके बाद भुवनेश्वर कुमार 21 रन बनाकर आउट हो गए.
3. महेंद्र सिंह धोनी : कार्तिक के साथ की सबसे बड़ी पार्टनरशिप
लंबे समय से अपनी खराब फॉर्म से जूझ रहे महेंद्र सिंह धोनी ने सही समय पर वापसी की. फाइनल में जब टीम इंडिया को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसी समय उनका बल्ला गरजा. पहले दिनेश कार्तिक के साथ उन्होंने 54 रनों की साझेदारी की फिर केदार जाधव के साथ उन्होंने पांचवें विकेट के लिए कीमती रन जोड़े. इतना ही नहीं धोनी ने विकेट के पीछे भी कमाल करते हुए इसी मैच में नया रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने 2 स्टंपिंग करने के साथ ही विकेटों के पीछे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 800 शिकार पूरे किए.
4. रोहित शर्मा : कप्तानी पारी खेली, लेकिन फिफ्टी से चूके
टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा का बल्ला इस सीरीज में खूब बोला. 5 मैचों में वह दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे. इस मैच में रोहित थोड़े बदकिस्मत रहे. वह 2 रन से अपना अर्धशतक चूक गए. हालांकि सलामी बल्लेबाज के तौर पर उन्होंने अपनी टीम को एक अच्छी शुरुआत दी. वह 48 रन बनाकर आउट हुए. इस सीरीज में रोहित ने 5 मैचों में 105 की औसत से 317 रन बनाए. सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज शिखर धवन रहे. उन्होंने भी 5 मैचों में 342 रन बनाए.
5. कुलदीप यादव : एक बार फिर फंसाया फिरकी के जाल में
विरोधी टीमों के लिए खौफ बन चुके टीम इंडिया के रिस्ट स्पिनर कुलदीप यादव ने एक बार फिर से अपनी फिरकी पर बांग्लादेश के खिलाड़ियों को नचाया. 10 ओवर में 45 रन देकर कुलदीप यादव ने सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए. खासकर उनकी बॉल पर लिटन दास की स्टंपिंग मैच का टर्निंग प्वाइंट बना. लिटन दास 121 रन बनाकर आउट हो गए. अगर लिटन दास क्रीज पर कुछ देर और बने रहते तो बांग्लादेश के स्कोर में 15 से 20 रन ज्यादा जुड़ सकते थे. ऐसे में टीम इंडिया के लिए लड़ाई आसान नहीं रहती.