नई दिल्ली। एशिया कप के फाइनल में टीम इंडिया ने एक बार फिर से बांग्लादेश के सपने को चकनाचूर करते हुए खिताब अपने नाम किया. वनडे के अपने इतिहास में बांग्लादेश कभी भी वनडे का फाइनल नहीं जीत पाया है. इस मैच में एक समय उसने मैच को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया था, जहां से मैच में कुछ भी हो सकता था, लेकिन टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने इस रोमांचक मैच में अपने फैंन को बिल्कुल निराश नहीं किया. हालांकि इस मैच में फैंस की सांसें ऊपर नीचे होती रहीं. आखिरी बॉल पर टीम इंडिया को बांग्लादेश के खिलाफ जीत मिली.
आखिरी ओवर में टीम इंडिया को 6 बॉल में 6 रन बनाने थे. स्ट्राइक पर कुलदीप यादव थे. लग रहा था कुछ अनहोनी न हो जाए, लेकिन टीम ने ये मैच 3 विकेट से जीत लिया. इस मैच में ध्यान से देखा जाए तो कई कारण जीत के रहे. लेकिन इस मैच में तीन साझेदारियां ऐसी रहीं, जिन्होंने मैच की दिशा बदल दी.
1. दिनेश कार्तिक और महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बड़ी साझेदारी
टीम इंडिया ने जब 3 विकेट जल्दी जल्द खो दिए, ऐसे में टीम के दो सबसे अनुभवी बल्लेबाजों ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. दिनेश कार्तिक के साथ मिलकर महेंद्र सिंह धोनी ने 54 रनों की साझेदारी की. दिनेश कार्तिक ने 37 रन बनाए. वहीं महेंद्र सिंह धोनी ने 36 रन बनाए. इन दोनों के आउट होते ही टीम इंडिया एक बार फिर से संकट में फंस गई. धोनी ने विकेट के पीछे भी कमाल करते हुए इसी मैच में नया रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने 2 स्टंपिंग करने के साथ ही विकेटों के पीछे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 800 शिकार पूरे किए.
2. भुवनेश्वर कुमार और रविंद्र जडेजा की निर्णायक पार्टनरशिप
160 रन पर टीम इंडिया ने धोनी के रूप में सबसे मजबूत विकेट खो दिया. उस समय टीम इंडिया को जीत के लिए 63 रन चाहिए थे. 5 विकेट हाथ में विकेट पर सिर्फ केदार जाधव और जडेजा की ही आखिरी जोड़ी थी. केदार जाधव चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए. ऐसे में रविंद्र जडेजा का साथ देने के लिए भुवनेश्वर कुमार आए. मैच जिस क्षण पर था, उस समय किसी की भी जीत संभव थी, लेकिन दोनों ने मिलकर छठे विकेट के लिए 45 रनों की साझेदारी कर मैच को टीम इंडिया के नाम करीब करीब कर दिया. जडेजा 33 बॉल में 23 रन बनाकर आउट हुए. उनके बाद भुवनेश्वर कुमार 21 रन बनाकर आउट हो गए. रुबेल हसन की गेंद पर भुवी के द्वारा लगाया गया छक्का मैच का सबसे आकर्षक पल था.
3. केदार जाधव और कुलदीप यादव ने लगाई जीत पर मुहर
जब टीम लगभग जीत के दरवाजे पर पहुंच चुकी थी, उसी समय 214 रनों के स्कोर पर अच्छी बल्लेबाजी कर रहे भुवनेश्वर कुमार आउट हो गए. टीम को अब भी 7 रन चाहिए थे. 11 बॉल बाकी थीं. चार बॉल में कोई रन नहीं बना. आखिर ओवर में 6 बॉल पर 6 रन चाहिए थे. पहली बॉल पर कुलदीप ने पहली बॉल पर रन बनाया. दूसरी बॉल पर केदार जाधव ने रन बनाया. तीसरी बॉल पर कुलदीप ने उठाकर मारा और दो रन बना लिए. अब 3 बॉल पर दो रन बनाने थे. मेहमूदल्ला की अगली बॉल पर कोई रन नहीं बना. अब 2 बॉल पर दो रन बनाने थे. रोमांच चरम पर पहुंच गया. इसके बाद 5वीं बॉल पर कुलदीप ने एक रन लेकर स्कोर बराबर कर दिया. अंतिम बॉल पर केदार जाधव ने रन बनाकर टीम को चैंपियन बना दिया.