संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान की ओर से लगाए गए आरोपों का करारा जवाब दिया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की दूत एनम गंभीर ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि पुराने सांचे में नए पाकिस्तान को डाला गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत पर 2014 में पेशावर के स्कूल में हुए आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप लगाया था. भारत ने इस आरोप का खंडन किया.
‘राइट टू रिप्लाई’ के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत की दूत एनम गंभीर ने कुरैशी को आरोपों का मजबूती से खंडन किया. गंभीर ने कहा कि पाकिस्तान भले ही कहे कि उसने आतंकवाद पर नकेल कस दी है, लेकिन सच्चाई यही है कि आतंकी आज भी वहां खुले में घूम रहे हैं और लोगों को चुनाव तक लड़वा रहे हैं.
गंभीर ने पाकिस्तान के आरोपों पर कहा ‘4 साल पहले पेशावर के स्कूल पर जानलेवा आतंकवादी हमले से संबंधित यह बेतूका आरोप है. मैं पाकिस्तान की नई सरकार को याद दिलाना चाहती हूं कि भारत में भी इस हमले की निंदा की गई थी. भारतीय संसद के दोनों सदनों ने भी मारे गए बच्चों को याद किया था. भारत के स्कूलों में इस घटना में मारे गए बच्चों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई थी.’
गंभीर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और यह भारत का हिस्सा बना रहेगा. पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने आतंकवाद पर लगाम लगाई है. लेकिन सच्चाई कुछ और है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान इस सच्चाई से इनकार कर सकता है कि वह अपने यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी सूची में शामिल 132 आतंकियों और 22 आतंकी संगठनों को पनाह दिए हुए है?
गंभीर ने पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद के खुलेआम घूमने को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करेगा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और वहां चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करता है?
एनम गंभीर ने कहा कि हमने यह भी देखा है कि पाकिस्तान मानवाधिकार की भी बात करता है. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार पर पाकिस्तान की ये बातें भी खोखली हैं. प्रिंसटन के अर्थशास्त्री आतिफ मियां के उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है. उन्हें इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल से सिर्फ इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दुनिया को उपदेश देने से पहले खुद के घर से ही मानवाधिकार की शुरुआत करनी चाहिए.