लखनऊ। तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में मायावती को साथ लेकर बीजेपी को हराने के ख्वाब देख रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. गठबंधन के सारे दावे हवा हो गए. अब कांग्रेस इन राज्यों में अकेले दम पर बीजेपी से मोर्चा लेने को मजबूर हो गयी है. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, आज के हालात में ऐसा होने के ही आसार थे, लेकिन 2019 के आम चुनावों में मायावती के साथ का विकल्प, वह अब भी खुला मानती है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के दबाव के चलते मायावती के साथ तीन राज्यों में गठजोड़ की संभावना ना के ही बराबर थी. वैसे पार्टी की राजस्थान इकाई गठबंधन के पक्ष में नहीं थी, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी बसपा से गठजोड़ चाहती थी. इस बीच पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह आनन-फानन में मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ समझौता किया, तभी पार्टी के रणनीतिकारों को लगा कि मामला कुछ और है. यानी एमपी में भी बात नहीं बनने वाली.
सूत्रों के मुताबिक, जब मायावती ने मध्य प्रदेश में सीटें मांगीं तो उनमें करीब आधी वे सीटें थीं, जहां मुकाबला कांग्रेस-बीजेपी के बीच होता आया है. ऐसे में उन सीटों को बसपा को देने से बीजेपी की जीत पक्की हो सकती थी. ऐसे में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने आलाकमान को बता दिया कि शायद मायावती बीजेपी के दबाव में हैं, इसीलिये वो ऐसी शर्तें रख रहीं हैं, जो मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिएये मानना नामुमकिन सा था.
इसके बाद तय हो गया कि एमपी में समझौता संभव नहीं होगा. उसके बाद ही दिग्विजय सिंह ने खुलकर मायावती पर बीजेपी के दबाव का बयान दे डाला. इससे बिफरी मायावती ने दिग्विजय और कांग्रेस को लताड़ लगाई. लेकिन इतना सब होने के बाद भी कांग्रेस के आला सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के करीब आने तक केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा कमजोर हो जाएगा, उस सूरत में मायावती पर दबाव काम नहीं करेगा और तब समझौते की गुंजाइश बनने की संभावना है. उनके मुताबिक, मायावती ने अपने बयान में राहुल-सोनिया के गठबंधन चाहने की बात कहकर 2019 के लिए खिड़की खुली रखी है.
कांग्रेस सूत्र ये भी मानते हैं कि बसपा तीन राज्यों में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करके ऐसा दबाव का माहौल बनाना चाहती है ताकि लोकसभा चुनाव से पहले अगर गठबंधन होता भी है तो ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी की जा सके.
इस पूरे मसले पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने आजतक से कहा, हमारे अध्यक्ष पहले ही 2019 के लिए राज्यवार समान विचारधारा वाले दलों से गठजोड़ की वकालत कर चुके हैं, इसलिए भविष्य में बड़ी लड़ाई के लिए विकल्प खुले हैं. साथ ही मायावती जी ने जब ये कहा है कि, राहुल-सोनिया गठजोड़ के हक में हैं तो 2019 के लिए तीनों बैठकर बात कर ही सकते हैं और जो भी सिलवटें हैं उसको ठीक कर सकते हैं.