नई दिल्ली। इकोनॉमी के सामने खड़ी कई चुनौतियों के बावजूद शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसा माना जा रहा था कि गिरते रुपये और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के दबाव में आकर केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
इस तरह आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान जीडीपी के 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. मौद्रिक नीति समिति के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में महंगाई 4.5 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है. वहीं, चौथी तिमाही में यह 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
मौद्रिक नीति समिति के मुताबिक रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी रहने का अनुमान है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि रियल टर्म्स में रुपये में गिरावट 5 फीसदी के आसपास रही है. उन्होंने कहा कि दूसरी इमरजिंग इकोनॉमी के मुकाबले रुपये में गिरावट कम रही है. मोदी सरकार की तरफ से एमएसपी बढ़ाए जाने के असर को लेकर उर्जित पटेल ने कहा कि अभी इसके असर को लेकर अनिश्चितता का माहौल है.
रॉयटर्स पोल में भी यही आशंका जताई जा रही थी. दरअसल रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार नीचे जा रहा है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है. इसके अलावा चालू खाता घाटा बढ़ने और अन्य कई चुनौतियां इकोनॉमी के सामने खड़ी हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है.
लेकिन आरबीआई ने विशेषज्ञों के सभी अनुमान के विपरीत फैसला लिया है. बता दें कि अगस्त में भी ब्याज दरें बढ़ाई गई थीं. इस दौरान रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. इस बढ़ोतरी के बाद ब्याज दरें 6.50 फीसदी हो गई थी. इससे पहले जून में आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी. इस दौरान केंद्रीय बैंक ने इसमें 25 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की थी. इस बढ़त के बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया.