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7 पंक्तियां, 83 शब्द: पढ़ें इस्तीफे वाले बयान में एमजे अकबर ने क्या कहा

नई दिल्ली। #MeToo अभियान के तहत यौन शोषण के आरोपों से घिरे एमजे अकबर ने विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अकबर पर 10 दिन पहले ये आरोप लगाए गए थे, तब से अब तक दर्जनभर महिला पत्रकारों ने उनपर यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए. विपक्ष और सोशल मीडिया के जरिए उनपर लगातार इस्तीफे का दबाव बनाया जा रहा था.

बुधवार शाम एमजे अकबर ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस्तीफे का ऐलान किया. जारी विज्ञप्ति में उन्होंने सिर्फ 7 पंक्तियों और 83 शब्दों (अंग्रेजी में जारी किए गए बयान के अनुसार) का उपयोग करते हुए इस्तीफा दिया.

इस्तीफा देते हुए ये दिया बयान –

”मैंने निजी हैसियत से अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ लड़ने का फैसला किया है. मेरे ऊपर लगे सभी तरह के झूठे आरोपों के खिलाफ मैं कानूनी लड़ाई लड़ना चाहते हूं, यही कारण है कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैंने अपना इस्तीफा विदेश मंत्री के कार्यालय को भेज दिया है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को देश सेवा का मौका देने के लिए धन्यवाद देता हूं.”

विदेश से लौट कर क्या बोले थे अकबर

बता दें कि जिस दौरान एमजे अकबर पर #MeToo के तहत आरोप सामने आए थे, तब वे विदेश यात्रा पर थे. लेकिन जैसे ही विदेश से देश वापस लौटे तो उनपर सवालों की बौछार हुई थी.  उन्होंने कहा था कि इस तरह के आरोपों को लगा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. तब उन्होंने अपनी सफाई में कहा था कि झूठ के पांव नहीं होते, लेकिन उसमें जहर होता है. वे उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.

उन्होंने कहा था कि पत्रकार प्रिया रमानी ने यह कैंपेन एक साल पहले एक पत्रिका में लेख के माध्यम से शुरू किया था. उन्होंने मेरा नाम नहीं लिया क्योंकि वो जानती थीं कि उनकी कहानी गलत है. जब उनसे पूछा गया कि आपने नाम क्यों नहीं लिया तब उन्होंने ट्वीट में लिखा, “नाम कभी नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं किया.”

पूरा मामला क्या है?

दरअसल, विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर अब तक 11 महिला पत्रकारों ने #MeToo कैंपेन के तहत आरोप लगाए हैं. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी.

रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगाए थे.

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