नई दिल्ली। राजस्थान की भारत-पाक सीमा पर कट्टरपंथी इस्लामिक गतिविधियों में पिछले कुछ साल में तेजी आई है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. बीएसएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि जैसलमेर से सटे सरहदी इलाकों में हाल के वर्षों में ऐसी गतिविधियां बढ़ी हैं जो सुरक्षा बलों के लिए खतरे का सबब बन सकती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 से पहले जैसलमेर बॉर्डर के उस पार कट्टर इस्लामिक गतिविधियां न के बराबर थीं, जबकि अब उसमें भारी इजाफा देखा जा रहा है.
जैसलमेर के दक्षिणी हिस्से में साल 2000 से पहले मस्जिद नहीं थे जबकि अब सरकारी जमीन पर कई मस्जिदों का निर्माण शुरू हो चुका है. कई पुराने मस्जिद भी देखे जा सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के वर्षों में मांडला मस्जिद की गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है. मांडला मस्जिद दक्षिणी जैसलमेर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
मांडला मस्जिद में दूर-दूर से आते लोग देखे जा सकते हैं. पिर पगारा के अनुयायी न सिर्फ जैसलमेर से, बल्कि गुजरात के अंदरूनी इलाकों से भी इस मस्जिद में आ रहे हैं. तथ्यों पर आधारित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सामान्य दर से कहीं ज्यादा तेजी से इस इलाके में मुस्लिम समुदाय की आबादी बढ़ रही है. खासकर साम पोकरन और नचना इलाके में आबादी का ग्राफ बड़ी तेजी से बढ़ा है. जैसलमेर के दक्षिणी सरहदी इलाकों में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी देखी जा रही है.
जैसलमेर सीमा पर विदेशी हरकतें किस प्रकार चालू हैं इसका अंदाजा पिछले साल की दो अहम घटनाओं से लगाया जा सकता है. साल 2017 की फरवरी में राजस्थान पुलिस ने जैसलमेर जिले से हाजी खान नाम के जासूस को पकड़ा था. खान पर संवेदनशील सूचनाएं चुराने और पाकिस्तान को सप्लाई करने का आरोप लगा था. खान खुद जैसलमेर में रहता है लेकिन उसके रिश्तेदार पाकिस्तान के हैं. फरवरी में ही इस घटना से एक हफ्ते पहले सादिक नाम के एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था, जिस पर पाकिस्तान को सूचनाएं भेजने का आरोप लगा था.
2017 के दिसंबर में एक और ऐसी घटना घटी जिसमें बीएसएफ ने एक अफगान नागरिक को हिरासत में लिया और कई राज उगलवाए. काबुल निवासी मोहम्मद परवेज ने पूछताछ में आईबी को बताया था कि वह टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था और जैसलमेर के इलाकों में दवाएं बेच रहा था. परवेज ने आईबी को यह भी बताया था कि उसके साथ दो और अफगान भारत आए हैं जिनमें एक को हिरासत में लिया गया है.
सरहदी इलाकों में ऐसी गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं क्योंकि अंधेरे का फायदा उठाकर दहशतगर्द भारत की सीमा में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के सीमाई इलाकों में भी यही हालत है. भारतीय सीमा के उस पार हालत यह हो गई है कि चरमपंथी गुट हमेशा गड़बड़ करने की फिराक में रहते हैं. आतंकियों के लॉन्चिंग पैड इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं.
आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब न हों, इसके लिए भारत ने सर्जिकल हमले भी किए. कई आतंकी मारे भी गए लेकिन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद भारत में अभी भी गड़बड़ी फैला रहा है.