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CBIvsCBI: 1998 की वह नजीर जिसके आधार पर निदेशक आलोक वर्मा SC पहुंचे

नई दिल्‍ली। सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी अभूतपूर्व जंग पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है. शीर्ष अदालत आलोक वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगी.

1. आलोक वर्मा ने सरकारी आदेश को 1998 की सुप्रीम कोर्ट की एक व्‍यवस्‍था के आधार पर चुनौती दी है. उसमें कोर्ट ने निर्णय दिया था कि सीबीआई निदेशक का पद कम से कम दो साल के लिए फिक्‍स होना चाहिए. कहा जा रहा है कि वरिष्‍ठ वकील फली नरीमन, आलोक वर्मा का पक्ष कोर्ट में पेश करेंगे. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल केंद्र का पक्ष रखेंगे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की तरफ से पेश होंगे. पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना की तरफ से पेश होंगे.

2. आलोक कुमार वर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र और केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा उन्हें जांच ब्यूरो के मुखिया के अधिकारों से वंचित करने का रातोंरात लिया गया निर्णय ‘‘सरासर गैरकानूनी’’ है और ऐसे हस्तक्षेप से इस प्रमुख जांच संस्था की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता का क्षरण होता है. याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से अलग रखने पर जोर दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि चूंकि जांच ब्यूरो इसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह स्थिति जांच ब्यूरो के स्वतंत्र रूप से काम करने को गंभीर रूप से प्रभावित करती है.

3. याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से अलग रखने पर जोर दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि चूंकि जांच ब्यूरो इसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह स्थिति जांच ब्यूरो के स्वतंत्र रूप से काम करने को गंभीर रूप से प्रभावित करती है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि अस्थाना द्वारा ‘पैदा की गयी अड़चनों और उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने के लिये साक्ष्य गढ़ने में उनकी भूमिका ने ही जांच ब्यूरो को उनके खिलाफ अलग से प्राथमिकी दर्ज करने के लिये बाध्य किया. अस्थाना ने इस प्राथमिकी को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुये इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है.

4. याचिका के अनुसार शीर्ष अदालत ने बार बार कहा है कि इस जांच एजेंसी को सरकार के प्रभाव से मुक्त किया जाये और उसकी मौजूदा कार्रवाई सीबीआई को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से स्वतंत्र करने की गंभीर आवश्वकता पर जोर देती है. आलोक वर्मा ने उन्हें अधिकारों से वंचित करने और अवकाश पर भेजने के सरकार के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया है ताकि इस तरह के बाहरी हस्तक्षेप की पुनरावृत्ति नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र जांच एजेंसी की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे अवसर आ सकते हैं जब उच्च पदाधिकारियों की कुछ जांच वह दिशा नहीं ले जिसकी सरकार अपेक्षा करती हो. उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा के 1986 बैच के अधिकारी और जांच ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी के मुखिया का प्रभार सौंपने के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के फैसले को भी चुनौती दी है.

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5. एक गैर सरकारी संगठन ‘कामन कॉज’ ने भी गुरूवार को याचिका दायर कर जांच एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की. अब आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई गैर सरकारी संगठन की याचिका के साथ ही होगी.

6. वहीं लोकसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति से सलाह लिए बगैर जांच एजेंसी प्रमुख आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा है. प्रधानमंत्री को बेहद कड़े शब्दों में चिट्ठी लिख कर खड़गे ने उन पर ‘‘मनमाने’’ तरीके से काम करने और सीबीआई निदेशक तथा उपनिदेशक राकेश अस्थाना के बीच एक जैसे आरोप लगाने की बात कही है. पिछले वर्ष सीबीआई प्रमुख के तौर पर वर्मा का चयन करने वाली प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में खड़गे भी शामिल थे. इस समिति में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर भी सदस्य थे.

7. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को आधी रात में हटाना ‘अवैध’ तथा राफेल विमान सौदे में ‘भ्रष्टाचार’ की जांच रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘‘घबराहट में उठाया गया कदम’’ है. राहुल ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्मा को हटाना न सिर्फ संविधान बल्कि देश के चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष का भी ‘अपमान’ है जो प्रधानमंत्री के साथ उस पैनल में शामिल हैं जिसे उन्हें नियुक्त करने या हटाने का अधिकार है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘राहुल गांधी राफेल विमान सौदे में हर दिन एक नया झूठ गढ़ रहे हैं.’’

8. वित्त मंत्री अरूण जेटली के अनुसार वर्मा तथा विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को केंद्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर छुट्टी पर भेजा गया क्योंकि सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक था. सीबीआई ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि राफेल जेट सौदे सहित कई महत्वपूर्ण फाइलें वर्मा के विचाराधीन हैं जब केंद्र ने उनसे उनका अधिकार ले लिया था. सीबीआई ने कहा कि वर्मा अब भी उसके निदेशक हैं लेकिन छुट्टी पर हैं.

9. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ कांग्रेस शुक्रवार को दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय तथा राज्यों की राजधानियों में सीबीआई के कार्यालयों के सामने धरना- प्रदर्शन करेगी. राजधानी दिल्ली में इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है.

10. उल्लेखनीय है कि विवाद के केंद्र में आए वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंगलवार देर रात आदेश जारी कर अवकाश पर भेज दिया था. प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली नियुक्ति समिति ने मंगलवार की रात में आदेश जारी कर एजेंसी के निदेशक का प्रभार संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सौंप दिया.

आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच चल रही खींचतान हाल ही में काफी बढ़ गई और इसी प्रक्रिया में अस्थाना और जांच ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार सहित कई अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. देवेन्द्र कुमार इस समय कथित रिश्वत के मामले में जांच ब्यूरो की हिरासत में हैं. यह प्राथमिकी 15 अक्टूबर के सतीश बाबू सना की लिखित शिकायत के अधार पर दर्ज की गयी. आरोप है कि मामले के जांच अधिकारी कुमार उन्हें बार बार सीबीआई कार्यकाल बुलाकर क्लीन चिट देने की एवज में पांच करोड़ रुपये की रिश्वत देने के लिये बाध्य कर रहे थे. अस्थाना और कुमार दोनों ने ही इस प्राथमिकी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले में हाई कोर्ट ने मंगलवार के जांच ब्यूरो को अस्थाना के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था.

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