नई दिल्ली। रिलायंस कम्यूनिकेशन के मालिक अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम को एरिक्सन के बकाया 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए 15 दिसंबर तक का समय दिया है. इसके बाद अब छोटे अंबानी की दो कंपनियों रिलायंस कम्यूनिकेशन और रिलायंस टेलीकॉम से कर्ज की वसूली के लिए 24 कर्जदाताओं ने मुंबई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अलग-अलग बेंच में गुहार लगाई है. इस बारे में ट्रिब्यूनल के रिकॉर्ड से जानकारी मिली है.
11 कंपनियों ने विवाद को सुलझा लिया का प्रक्रिया में
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार अदालत में जाने वाले कर्जदाताओं में से 11 ने एनसीएलटी के जरिये अनिल अंबानी की कंपनियों के साथ विवाद को निपटा लिया है या वे सुलझाने की प्रक्रिया में हैं. शेष 13 कंपनियों का रिलायंस कम्यूनिकेशन और रिलायंस टेलीकॉम से जुड़े विवाद में समझौता होना बाकी है. जो कर्जदाता अनिल अंबानी की दोनों कंपनियों के खिलाफ एनसीएलटी गए हैं उनमें पेटीएम की सहयोगी कंपनी वन97 कम्यूनिकेशन, गति लिमिटेड, हैंडीगो टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, लक्ष्य मीडिया लिमिटेड, वालोप एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड, इवॉल्व डिजीटल सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, एनहेंस सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, सिस्कोन कॉर्पोरेशन लिमिटेड, नव्या इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और अभीटेक एनर्जीकॉन लिमिटेड शामिल हैं.
कुछ लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक का बकाया
कर्जदाताओं ने दोनों कंपनियों से कुछ लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक के बकाया वसूले जाने की मांग की है. वन 97 कम्यूनिकेशन ने 20 करोड़ रुपये की वसूली की मांग की है. वहीं टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर कंपनी एसेंड टेलीकॉम ने तीन अलग-अलग पिटीशन में आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम से 23 करोड़ रुपये की वसूली की मांग की है. इसके अलावा बंगलोर इंटरनेशन एयरपोर्ट ने एक करोड़ रुपये बकाये की बात कही है. अखबर के अनुसार जब अनिल अंबानी वाले रिलायंस ग्रुप से इस बारे में बात की गई तो उसके प्रवक्ता ने कोई भी जवाब देने से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्यूनिकेशन को 15 दिसंबर तक स्वीडिश टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन का बकाया देने के लिए 15 दिसंबर तक का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बकाया भुगतान के समय को तब बढ़ाया गया है जब 30 सितंबर तक भुगतान नहीं करने के बाद एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने रिलायंस कम्यूनिकेशन को ज्यादा वक्त देते हुए साफ किया कि यह आखिरी मौका दिया जा रहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि 15 दिसंबर तक भुगतान नहीं किया जाता तो आरकॉम के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.