नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट में 26-27 अक्टूबर के दरमियान गुजरे 24 घंटे बेहद निर्णायक होने जा रहे हैं. 26 अक्टूबर को रात 10.40 बजे महेंद्र सिंह धोनी को भारत की टी20 टीम से बाहर कर दिया गया. फिर 27 अक्टूबर को रात करीब 9.30 बजते-बजते भारतीय टीम वेस्टइंडीज से हार गई. यह वही टीम इंडिया है, जिसे चयनकर्ता अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप की टीम के रूप में देख रहे हैं. इसलिए इस हार को सिर्फ एक मैच की हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इस हार से वर्ल्ड कप की टीम का रास्ता निकलता है.
बेस्ट प्लेइंग-11 के साथ खेलकर भी हारी टीम इंडिया
भारतीय टीम पुणे में खेले गए मैच में अपने संभावित सबसे बेहतरीन अटैक के साथ उतरी. मैच में टीम इंडिया के दोनों बेस्ट तेज गेंदबाज भुवनेश्वर और बुमराह खेले. स्पिन अटैक बेस्ट रिस्ट स्पिनरों कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल ने संभाला. खलील अहमद भी वर्ल्ड कप संभावितों में देखे जा रहे हैं. बैटिंग में टॉप-3 रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली के चयन से लेकर क्षमता को लेकर शायद ही किसी के मन में शक हो. चौथे नंबर पर अंबाती रायडू को फिट माना जा रहा है. कोहली उनकी लगातार तारीफ कर रहे हैं. छठे नंबर पर धोनी को कप्तान, टीम मैनेजमेंट से लेकर चयनकर्ताओं तक का समर्थन हासिल है. यानी, इस टीम में सिर्फ पांचवां नंबर (ऋषभ पंत) ही ऐसा था, जिसे पहली नजर में वर्ल्ड कप की प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती नहीं दिख रही है. कह सकते हैं कि टीम इंडिया अपनी लगभग बेस्ट प्लेइंग इलेवन होने के बावजूद हारी है.
मिडिल ऑर्डर का फेल होना हार की मुख्य वजह
किसी टीम का कप्तान शतक लगाए, इसके बावजूद अगर पूरी टीम 240 रन पर सिमट जाए तो उसकी क्षमता पर सवाल उठाए जाएंगे. यह हार इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि इसकी सबसे बड़ी वजह मिडिल ऑर्डर का फेल होना है. भारतीय टीम 25वें ओवर तक 2 विकेट पर 134 रन बना चुकी थी. यानी, उसे अगले 25 ओवर में 150 रन बनाने थे और आठ विकेट बाकी थे. बैटिंग की मददगार पिच पर यह लक्ष्य मुश्किल नहीं था. लेकिन विराट कोहली (107) और शिखर धवन (35) को छोड़ दें तो कोई भी बल्लेबाज 30 रन भी नहीं बना सका. मिडिल ऑर्डर और लोअर ऑर्डर के बल्लेबाजों की यही नाकामी भारत की हार तय कर गई.
नंबर-4 पर तीन साल में 10 बल्लेबाज खेले
दरअसल, टीम इंडिया की मिडिल ऑर्डर की कमजोरी करीब तीन साल से जस की तस है. खासकर नंबर-4 की गुत्थी नहीं सुलझ रही है. टीम इंडिया नंबर-4 पर 2015 से अब तक 10 बल्लेबाजों को आजमा चुकी है. इन बल्लेबाजों में एमएस धोनी, अजिंक्य रहाणे, दिनेश कार्तिक, युवराज सिंह, मनीष पांडे, हार्दिक पांड्या, केदार जाधव, केएल राहुल, मनोज तिवारी और अंबाती रायडू शामिल हैं. रायडू ने हाल ही में कुछ निरंतरता दिखाई है, लेकिन यह देखना होगा कि वे इसे कब तक बरकरार रख पाते हैं या टीम प्रबंधन उन पर कब तक भरोसा बनाए रखते हैं.
धोनी को साल में पहली फिफ्टी की तलाश
कप्तान कोहली, कोच शास्त्री और मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद तीनों ही बार-बार कह रहे हैं कि महेंद्र सिंह धोनी अगले साल वर्ल्ड कप खेलेंगे. इसके बावजूद यह धोनी का खेल, खासकर बल्लेबाजी ही तय करेगी कि वे वर्ल्ड कप टीम में कितने फिट हैं. किसी भी खिलाड़ी की जगह उसकी फॉर्म और फिटनेस तय करती है. धोनी पूरी तरह फिट हैं. बिजली की तेजी से स्टंपिंग करते हैं. लेकिन रन??? रन उनके बल्ले से नहीं निकल रहे हैं. वे 2018 में 18 मैच में 25.20 की औसत से सिर्फ 252 रन बना सके हैं. वे इस साल एक भी अर्धशतक नहीं बना सके हैं. शायद धोनी भी इस प्रदर्शन के साथ वर्ल्ड कप में ना जाना चाहें. इसीलिए प्लान बी के तहत उन्हें टी20 टीम से ड्रॉप किया गया है. ताकि ऋषभ धवन को टी20 टीम में बतौर विकेटकीपर जगह मिल जाए और वे प्लान बी के तहत धोनी की जगह वनडे टीम में फिट हो सकें.
तीन मैच- तीन परिणाम, सीरीज बराबर
और अंत में… पुणे की हार ने भले ही भारतीय टीम की चिंता बढ़ाई हो. इस हार में एक अच्छी बात यह छिपी है कि वेस्टइंडीज ने लगातार तीन मैच में अच्छा प्रदर्शन किया. वे पहला मैच हारे जरूर, पर इससे पहले उन्होंने 320 से ज्यादा रन बनाए. दूसरे मैच में 320 से बड़ा स्कोर बनाकर स्कोर टाई किया. तीसरे मैच में 121 रन पर पांच विकेट गंवाने के बावजूद 283/9 का मजबूत स्कोर बनाया और मैच भी जीता. विंडीज टीम का सुधरा प्रदर्शन विश्व क्रिकेट के लिए खुशी की बात है. इसमें भी सकारात्मक पक्ष यह है कि उसके युवा खिलाड़ी टीम को मजबूती दे रहे हैं, जो उसके बेहतर भविष्य के संकेत हैं.