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चुनावों की सरगर्मी के बीच महाकाल की शरण में शाह के बाद राहुल लगायेंगे हाजिरी

इंदौर। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच नजदीकी धार्मिक नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्रमुख सियासी पार्टियों के आलाकमान के पहुंचने का सिलसिला जारी है. महाकाल के दरबार में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाजिरी लगाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद उनके कांग्रेसी समकक्ष राहुल गांधी कल सोमवार को भगवान शिव के इस पवित्र स्वरूप के दर्शन के लिये पहुंचेंगे.

राहुल, महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा की मजबूत पकड़ वाले मालवा-निमाड़ अंचल में अपने दो दिवसीय चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत करेंगे. प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक वह उज्जैन के साथ ही क्रमशः झाबुआ, इंदौर, धार, खरगोन और महू में भी चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे.

राहुल के दौरे की कमान संभाल रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर ने रविवार को “पीटीआई-भाषा” को बताया, “राहुल महाकालेश्वर मंदिर में करीब 45 मिनट रहेंगे. वह एक आम भक्त की तरह महाकाल के दर्शन करेंगे.”

भाजपा शासित सूबे में पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान राहुल अलग-अलग मंदिरों में दर्शन के लिये पहुंचे हैं. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लगाये गये कुछ पोस्टरों में उन्हें “शिव भक्त” बताया गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष के धार्मिक अवतार को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा के उन पर निशाना साधने पर कपूर ने कहा, “राहुल शिव भक्ति की अपनी विशुद्ध भावना से महाकाल मंदिर पहुंच रहे हैं. क्या भगवान शिव की भक्ति का अधिकार केवल भाजपा नेताओं को है? शिव सबके हैं.”

उधर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने राहुल के धार्मिक अवतार पर फिर हमला बोला है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस की ओर से भाजपा पर धर्म की राजनीति का झूठा आरोप लगाया जाता रहा है. अब राहुल जवाब दें कि उन्हें चुनावी बेला में क्यों मंदिर-मंदिर घूमना पड़ रहा है? कांग्रेस अध्यक्ष यह भी बतायें कि कई बार मध्यप्रदेश आने के बावजूद वह और उनकी माता सोनिया गांधी महाकाल दर्शन के लिये पहले क्यों नहीं गये?”

झा ने कहा, “राहुल चुनावी फायदे के लिये धार्मिक व्यक्ति होने का ढोंग कर रहे हैं. लेकिन जनता उनकी असलियत जानती है.”

इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि योजना बनायी गयी थी कि राहुल को इंदौर जिले की जानापाव पहाड़ियों में स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली भी ले जाया जाये.  इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सचिव संजय कपूर ने बताया, “कांग्रेस अध्यक्ष के बेहद व्यस्त चुनावी दौरे के कारण इस योजना को अब तक मंजूरी नहीं दी गयी है.”

राहुल के परशुराम जन्मस्थली जाने की योजना को कांग्रेस की चुनावी सोशल इंजीनियरिंग से भी जोड़कर देखा जा रहा था, क्योंकि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधनों को लेकर सूबे का अनारक्षित समुदाय आक्रोश का लगातार इजहार कर रहा है.

हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार बताया जाता है. ब्राह्मण समुदाय परशुराम को अपने आदर्श की तरह पूजता है.

वैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 14 जुलाई को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किये थे. इसके बाद उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की “जन आशीर्वाद यात्रा” को इस धार्मिक नगरी में हरी झंडी दिखायी थी.

आपको बता दें कि उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के देश भर में फैले 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है.

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