नई दिल्ली। भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ अभी केवल 18 वर्ष के हैं, लेकिन मैदान पर उन्होंने जिस तरह का एटीट्यूट दिखाया है वह उन्हें बेहतर क्रिकेटर बनाता है. वह हर तरह के स्ट्रोक बेखौफ होकर खेलते हैं. जनवरी 2017 में उन्होंने फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया था. इसके कुछ महीने बाद ही उन्होने वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा है. उससे पहले इंग्लैंड में ही उन्हें बुलावा आ गया था. हालांकि, विदेशी धरती पर उन्हें भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिल पाया था.
वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत में ही पृथ्वी शॉ ने अपना इंटरनेशनल टेस्ट डेब्यू किया. यूं तो शुरुआत से ही पृथ्वी शॉ की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जाती रही है, लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने पहले टेस्ट में ही शतक लगाया. उसके बाद से पृथ्वी शॉ से फैन्स के साथ-साथ क्रिकेट दिग्गजों की उम्मीद भी बढ़ गई है.
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में 237 रन बनाए हैं. यह वर्ष उनके लिए किसी ‘परीकथा’ से कम नहीं रहा. इसी साल पृथ्वी शॉ ने न्यूजीलैंड में अंडर-19 में भारत को वर्ल्ड कप जितवाया था. इसके बाद उन्हें आईपीएल में दिल्ली डेयर डेविल्स ने खरीदा. पृथ्वी शॉ ने यहां भी अपनी टीम को निराश नहीं किया.
पृथ्वी शॉ ने निजी रूप से कड़ी मेहनत करके यह मुकाम हासिल किया है. जब वह चार साल के थे तो उनकी मां का निधन हो गया था. उनके पिता पंकज शॉ ने उनके क्रिकेटर बनने के सपने को साकार किया है. हाल ही में शॉ ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के मार्गदर्शन और घंटों की मेहनत को शुक्रिया कहा है.
पृथ्वी शॉ ने कहा कि उनकी वजह से ही मैं आज इतना बेखौफ क्रिकेटर बन पाया हूं. पृथ्वी ने इंस्टाग्राम पर अपने पिता के साथ एक बेहद प्यारी तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर को शेयर करते हुए पृथ्वी ने अपने पिता के नाम एक भावुक संदेश भी लिखा है- जब मैं संघर्ष कर रहा होता हूं तो उन्हें पता होता है. वह कहते हैं, तुम आगे बढ़ो मैं तुम्हारे पीछे खड़ा हूं. इन्हीं शब्दों ने मुझे साहसी बनाया है.
बता दें कि इस टीनेज सेनसेशन ने इंडिया ए की तरफ से शानदार प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्हें टेस्ट टीम में शामिल किया गया. ऑस्ट्रेलिया के साथ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए पृथ्वी शॉ तैयारियों में जुटे हैं. टीम इंडिया दिसंबर के पहले सप्ताह में ऑस्ट्रेलिया रवाना होगी.