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राजस्थान में सत्ता वापसी की खातिर अमित शाह रचने लगे चक्रव्यूह, देर रात हुई गंभीर मीटिंग

नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत के सपने देखने लगी है. कांग्रेस को ऐसा लगने लगा है कि वह राजस्थान में बीजेपी से आगे है. कुछ चुनावी पोल भी बता रहे हैं कि बीजेपी राजस्थान में पिछड़ रही है. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष ने राजस्थान को जीतने के लिए चक्रव्यूह की रचना शुरू कर दी है. इसी क्रम में शनिवार देर रात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निवास स्थान पर भाजपा नेताओं की बैठक हुई. यह बैठक राजस्थान में टिकट बंटवारे को लेकर थी. बीजेपी के नेताओं के साथ शाह ने इस मुद्दे पर विस्तृत मंथन किया.

रविवार को एक बार फिर होगी बैठक
जानकारी के मुताबिक राजस्थान सीएम वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष मदन सैनी के अलावा इस बैठक में संगठन मंत्री रामलाल, मुरलीधर राव, ओम माथुर, अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, वी सतीश, अविनाश राय खन्ना, चंद्रशेखर, गुलाब चंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़ और भूपेंद्र यादव मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि रविवार को एक बार फिर सभी नेता बैठक करेंगे. रविवार की यह प्रस्तावित बैठक शाम को होने वाली पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक से पहले होने की उम्मीद है. ताजा जानकारी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह के निवास पर पहुंच चुके हैं. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच राजस्थान की टिकटों को लेकर मंत्रणा हो रही है. इसके बाद ये लोग करीब 11:00 बजे अमित शाह के साथ मुलाकात करेंगे.

केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव लड़वाने की तैयारी
भाजपा में टिकट बंटवारे को लेकर चल रही माथापच्ची के बीच पार्टी के सूत्रों के हवाले से एक अहम जानकारी जी मीडिया के हाथ लगी है. बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान बड़ा नीतिगत फैसला करने के मूड में हैं. सूत्रों के मुताबिक इस चुनाव को अहम मानते हुए बीजेपी में कई सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाने पर विचार चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि तीन केन्द्रीय मंत्रियों को भी विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गजेंद्र सिंह शेखावत पोकरण या सरदारपुरा, अर्जुन राम मेघवाल खाजूवाला से, पीपी चौधरी को मारवाड़ जंक्शन या सुमेरपुर से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. इसके अलावा सीपी जोशी, अर्जुन मीणा, बहादुर सिंह कोली सहित कई सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है. जबकि टिकट कटने वाले विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए उनको लोकसभा चुनाव लड़वाने का आश्वासन दिया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि इस फॉर्मूले से भाजपा दो फायदे देख रही है. एक एंटीइनकंबेंसी कम होगी और दूसरा लोकसभा में फायदा मिल सकता है.

राजस्थान के चुनाव में अपनी जीत को पक्की करने के लिए सारे राजनीतिक दलों ने जातियों की गोलबंदी करने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. राजस्थान की राजनीति में लंबे समय तक ब्राह्मण, राजपूतों के अलावा जाट समुदाय और माली समुदाय का बोलबाला रहा है. यही वजह है कि अमित शाह टिकट वितरण को लेकर काफी सतर्क हैं. और छोटी-छोटी बातों पर विचार कर रहे हैं.

1990 के बाद राजस्थान में नहीं हुई है सत्ता वापसी 
आपको बता दें कि राज्य की राजनीति में सत्ता में दुबारा किसी की पार्टी की वापसी नहीं होती है. यह परिपाटी 1990 से राज्य में जारी है. 2008 में हुए चुनाव के दौरान यहां कांग्रेसने जीत हासिल की थी और माली समुदाय से आने वाले अशोक गहलोत सीएम बने थे. 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान यहां से बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने चुनाव जीता था. राजे के लिए इस बार सत्ता में वापसी काफी मुश्किल दिख रही है. यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस चुनाव में जीत पक्की करने के लिए पूरी तरह राजस्थान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

बीजेपी के लिए एक मुश्किल यह भी है
इस बीच बीजेपी में स्थानीय प्रत्याशी को टिकट देने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. बीजेपी में एक सीट पर कई उम्मीदवार टिकट को लेकर दावेदारी कर रहे हैं. बीजेपी में ऐसे हालात सिर्फ एक नहीं बल्कि कई सीटों पर हैं. इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश के कई इलाकों से बीजेपी के कार्यकर्ता बीते दिनों प्रदेश मुख्यालय पहुंचे. जिसके बाद इन कार्यकर्ताओं ने प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी से मुलाकात भी की. लोगों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस साल पार्टी को क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को तरहीज देनी पड़ेगी. बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों से ज्यादा बाहरी लोगों को तरजीह देने को लेकर इस बार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है.

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