नई दिल्ली। सीबीआई बनाम सीबीआई (CBI Row) के झगड़े में एक और अर्ज़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सीबीआई के नंबर-टू अफ़सर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) केस की जांच कर रहे सीबीआई अफ़सर मनीष कुमार सिन्हा (Manish Kumar Sinha)ने अदलत में अर्ज़ी देकर अपना तबादला रद्द कराने की अपील की है. यही नहीं, उन्होंने एक राज्य मंत्री के अलावा मुख्य सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) और लॉ सेक्रेटरी जैसे बड़े अफ़सरों पर भी जांच रुकवाने की कोशिश सहित गंभीर इल्ज़ाम लगाए हैं.
राकेश अस्थाना केस की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा की शिकायत है कि बस्सी और गुरुम के साथ उनका भी तबादला कर दिया गया, जबकि वो राकेश अस्थाना के केस की जांच कर रही टीम का नेतृत्व कर रहे थे. सोमवार को अपनी अर्जी में उन्होंने कई सनसनीखेज आरोप लगाए. अदालत में दी अर्जी के मुताबिक एनएसए अजित डोभाल ने राकेश अस्थाना के खिलाफ छापेमारी रुकवाई. उन्होंने सावंत गोयल का फोन जब्त करने की इजाजत भी नहीं दी. अजित डोभाल ने देवेंद्र कुमार की जांच में भी अड़ंगा लगाया.
इसके अलावा आरोप विधि सचिव पर भी हैं. अर्ज़ी के मुताबिक विधि सचिव ने सतीश सना को संरक्षण का भरोसा दिलाया. उन्होंने उसे लंदन का अपना फ़ोन नंबर दिया. वो 13 नवंबर को सतीश सना से मिलना चाहते थे. मनीष सिन्हा के आरोपों के घेरे में सीवीसी तक हैं.
हालांकि विधि सचिव और सीवीसी दोनों ने मनीष सिन्हा के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है. एनएसए की प्रतिक्रिया अभी तक एनडीटीवी को मिल नहीं पाई है, लेकिन मनीष सिन्हा का आरोप ये है कि सब मिलकर राकेश अस्थाना को बचा रहे हैं. उनके मुताबिक भ्रष्टाचार में कई बड़े अफसरों की मिलीभगत है. उनक अनुसार एक राज्य मंत्री ने भी कुछ करोड़ रुपये की रिश्वत ली है. उनका तबादला नागपुर जांच को भटकाने की कोशिश है. उनते पास कई चौंकाने वाले सबूत हैं.
हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने कहा, अब हम किसी बात से नहीं चौंकते. सीजेआई रंजन गोगोई ने मनीष सिन्हा की अर्जी पर फौरन सुनवाई की ज़रूरत से भी इनकार कर दिया. CJI ने मनीष कुमार सिन्हा की याचिका पर कहा कि आपकी याचिका लिस्ट नहीं होगी, लेकिन मंगलवार की सुनवाई में आप मौजूद रहें. आपको बता दे कि इससे पहले सीबीआई अधिकारी एके बस्सी को अपने ट्रांसफर के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ‘वहां कुछ दिन रहने’ की सलाह मिली थी. बस्सी का अंडमान निकोबार तबादला कर दिया गया था. इसके बाद बस्सी ने अपने तबादले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वे सुप्रीम कोर्ट से अपने तबादले पर रोक लगवाने में नाकाम रहे.