नई दिल्ली। नीरव मोदी-पीएनबी घोटाला उजागर होने से आठ महीने पहले ही इनकम टैक्स जांच रिपोर्ट में मोदी द्वारा बोगस खरीद, शेयरों का भारी मूल्यांकन, रिश्तेदारों को संदिग्ध भुगतान, संदिग्ध ऋण जैसे कई मामले उठाए गए थे. हालांकि इस बेहद जरूरी रिपोर्ट को अन्य एजेंसिंयों के साथ साझा नहीं किया गया.
भगोड़ा हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के ऊपर इनकम टैक्स ने लगभग 10,000 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी और इस जांच को आठ जून, 2017 को पूरा कर लिया गया था. लेकिन इस जांच रिपोर्ट को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) जैसी संस्थाओं के साथ फरवरी, 2018 तक साझा नहीं किया गया.
बता दें कि इस साल के फरवरी महीने में ही पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का घोटाला उजागर हुआ था. सूत्रों ने बताया कि फरवरी, 2018 से पहले टैक्स विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट को
क्षेत्रीय आर्थिक खुफिया परिषद (आरईआईसी) से साझा नहीं किया था. आरईआईसी विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच जानकारी साझा करने का एक तंत्र है.
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी और उनके तीन फर्म, डायमंड ‘आर’ यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टेलर डायमंड पर पीएनबी के जरिए 13,500 करोड़ के घोटाले का आरोप है. दोनों ने घोटाला उजागर होने के एक हफ्ता पहले जनवरी, 2018 में भारत छोड़ दिया था.
14 जनवरी, 2017 को आयकर विभाग ने नीरव मोदी के फर्मों की तलाशी ली और उसके मामा चोकसी की स्वामित्व वाली कंपनियों का सर्वेक्षण किया था. इस जांच के तहत देश भर में लगभग 45 आवासीय और कॉमर्शियल परिसरों की तलाशी ली गई थी.
एक वरिष्ठ टैक्स अधिकारी ने बताया कि मोदी और चोकसी के ऊपर तैयार की गई रिपोर्ट को अन्य एजेंसियों के साथ इसलिए साझा नहीं किया जा सका क्योंकि उस समय ऐसी रिपोर्ट को साझा करने का कोई नियम नहीं था.