टीम इंडिया का साल 2018 का ऑस्ट्रेलिया दौरा इस बार कुछ अलग है. इस बार ऑस्ट्रेलिया की टीम में वह बात नहीं है जो कि अब तक दिखाई देती थी. चाहे क्लास बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी में आक्रामकता हो, टीम वह लग ही नहीं रही है जिसके लिए वह जानी जाती है. जीत के लिए भूखी टीम जिसके खिलाड़ी हर मौके की ऐसी ताक में रहते थे जैसे कई दिनों से भूखा शेर शिकार की तलाश में होता हो. पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया का 235 रनों का स्कोर और ऑस्ट्रेलिया की तीनों दिन की गेंदबाजी काफी कुछ बयां कर रही है कि इस बार टीम में उतना आत्मविश्वास नहीं है जिसके लिए वह मशहूर रही है.
सबसे पहले टीम इंडिया की पहली पारी की बात करें तो 19 पर तीन विकेट और 41 पर चार विकेट गंवाने के बाद टीम इंडिया ने शानदार वापसी की और 250 का स्कोर खड़ा कर दिया. यह स्कोर ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ा स्कोर नहीं था, लेकिन पहले ओवर में ऐरॉन फिंच के आउट होने के बाद जिस तरह से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने इंटेंट (इरादा) दिखाया, वह टीम के मिजाज के बिलकुल अनुकूल नहीं था.
डिफेंसिव अंदाज ने किया हैरान
टीम के बल्लेबाजी मैच के दूसरे दिन जिस तरह से डिफेंसिव नजर आए, उसने कई लोगों को हैरान कर दिया. कहां तो ऑस्ट्रेलिया के तमाम दिग्गज दावा कर रहे थे कि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की गैर मौजूदगी की वजह से ऑस्ट्रेलिया टीम इतनी कमजोर नहीं है जितनी की चर्चा हो रही है. जब दूसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम एडिलेड की बल्लेबाजी के मुफीद पिच पर भी 88 ओवर में 200 रन नहीं बना सकी तो टीम का हाल दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ हो गया था.
मिजाज के खिलाफ बल्लेबाजी रही
इस बात का असर काफी गहरा था. इसका फायदा टीम इंडिया ने उठाया और तीसरे दिन का खेल बारिश की बाधाओं के बाद शुरू हुआ तब ऑस्ट्रेलिया की पारी 235 रनों पर सिमट गई और टीम इंडिया को 15 रनों की साइकोलॉजिकल बढ़त मिल गई. इस पारी में ट्रेविस हेड ने सबसे ज्यादा 72 रन बनाए उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा स्कोर
पीटर हैंड्सकॉम्ब का 34 रन रहा. टीम पूरी पारी के दौरान डिफेंसिव नजर आई. यह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के मिजाज के खिलाफ था.
25वे ओवर के आसपास था तनाव
जब टीम इंडिया दूसरी पारी में बल्लेबाजी कर रही थी, तब ऑस्ट्रेलिया गेंदबाजों ने टीम इंडिया को बेशक कड़ी चुनौती दी. हालाकि पहले केएल राहुल और मुरली विजय ने 68 रनों की साझेदारी कर पहले ऑस्ट्रेलिया को शुरुआती सफलता लेने से रोका. इसे भी ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को थोड़ी झुंझलाहट दी. इसका असर पैट कमिंस पर दिखा जब वे दो बार केएल राहुल से उलझने की कोशिश करते नजर आए.
बीच में उम्मीद जगी थी वापसी की
24वें ओवर के बाद ऑस्ट्रेलिया को कुछ उम्मीद लगी कि वे टीम इंडिया पर दबाव बना लेंगे. केएल राहुल के विकेट के रूप में उन्हें कुछ सफलता भी मिली, लेकिन उसके बाद पुजारा के दो बार डीआरएस से बचने पर ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों में धीरे धीरे फ्रस्टेशन दिखने लगा और वे अपनी गेंदबाजी में ज्यादा प्रयोग करते दिखाई दिए. हालाकि विराट को विकेट उनके लिए कुछ संजीवनी जैसा काम कर सकता था लेकिन इसके बाद वे दबाव डालने में नाकाम रहे.
अब मुश्किलें तो ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती दिख रहीं है
इस तरह दिन का खेल जब खत्म हुआ तो भारत का स्कोर तीन विकेट पर 151 हो गया था. अब भारत पिछली पारी के मुताबिक भी बल्लेबाजी करे तो आराम से 250 से ज्यादा रन बना सकता है. ऐसा होने पर ऑस्ट्रेलिया की मुसीबत बढ़ती जाएगी. इस लिहाज से चौथा दिन ऑस्ट्रेलिया के लिए अहम है. लेकिन पिछले दो दिनों के मनोबल को देखते हुए साफ लगता है कि ऑस्ट्रेलिया टीम अब मुश्किल में और स्मिथ-वार्नर की गैर हाजरी का टीम पर असर इसी टेस्ट में दिखने लगा है. इसका यह मतलब नहीं है की मैच में ऑस्ट्रेलिया की वापसी के सारे रास्ते बंद हो गए हैं. आखिरकार यह खेल तो क्रिकेट का ही है न.